चंडीगढ़: हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. राष्ट्रीय बालिका दिवस बेटियों के सरंक्षण, उनकी सुरक्षा और उन्हें प्रेरणा देने के लिए मनाया जाता है, हैरानी की बात ये है कि आज भी हमारे समाज में बेटा और बेटी में मतभेद बना हुआ है. बात हरियाणा की करें तो यहां लिंगानुपात के ताजा मामले ज्यादा अच्छे नहीं हैं. आलम ये है कि कई जगह बेटियों को बोझ समझकर उसे जन्म लेने के बाद फेंक दिया जाता है. कहीं उसकी बेरहमी से हत्या कर दी जाती है. भ्रूण हत्या और कम लिंगानुपात के कारण हरियाणा पहले से ही बदनाम रहा है. स्थिति अब भी यहां सुधरी हुई दिखाई नहीं दे रही.
आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट:हरियाणा देश के सबसे कम लिंगानुपात वाले राज्यों में शामिल है. हरियाणा के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-2022 के मुताबिक हरियाणा में प्रति 1000 पुरुषों पर 879 महिलाएं हैं. जन्म के समय लिंगानुपात 868 (सीआरएस 2013) से बढ़कर 914 (दिसंबर 2021 तक) हो गया है. हरियाणा के जिलों में लिंगानुपात की अगर बात करें तो NCRB की 31 मार्च 2021 तक की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में लिंगानुपात में थोड़ा सुधार हुआ है.
हरियाणा में भ्रूण हत्या के मामले जिलेवार समझिए:एनसीआरबी की रिपोर्ट 2021 के मुताबिक हरियाणा में भ्रूण हत्या के कुल 14 मामले दर्ज किए गए. हाल ही में 2022 और जनवरी 2023 में भी भ्रूण हत्या के कई मामले सामने आ चुके हैं. चौंकाने वाली बात तो ये है कि सरकारी की ओर से चलाई गई मुहिम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का असर यहां होता नजर नहीं आ रहा है. इसे जागरुकता की कमी या फिर बेटियों को भ्रूण की परंपरा कहा जा सकता है जिसे लोग बदलना नहीं चाहते.
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