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Millet Purchase in Haryana: केंद्र सरकार ने दी 2.5 लाख मीट्रिक टन बाजरे की MSP पर खरीद की अनुमति, सीएम मनोहर लाल ने किए कई ऐलान

Millet Purchase in Haryana: केंद्र सरकार ने 2.5 लाख मीट्रिक टन बाजरे की एमएसपी पर खरीद की अनुमति दे दी है. ये जानकारी बुधवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दी है. इसके अलावा सीएम ने बताया कि बाढ़ के कारण जिन किसानों की फसल खराब हुई है उन्हें 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि दी जायेगी.

Millet Purchase in Haryana
Manohar Lal press conference

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 13, 2023, 7:39 PM IST

चंडीगढ़: केंद्र सरकार ने 2.5 लाख मीट्रिक टन बाजरे की एमएसपी पर खरीद की अनुमति दे दी है. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि बाजरे के भाव पर सरकार नजर बनाए हुए है. उसके अनुसार प्रदेश सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को पैसा देगी. पहले भी सरकार ने किसानों को भावांतर भरपाई योजना के तहत 600 रुपये तथा 450 रुपये भावांतर दिया है. हालांकि अब केंद्र सरकार ने 2.5 लाख मीट्रिक टन बाजरे की एमएसपी पर खरीद की अनुमति प्रदान कर दी है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए कहा है कि जुलाई 2023 के दौरान भारी बारिश और बाढ़ के कारण धान की दोबारा बिजाई करने वाले किसानों को राज्य सरकार 7 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देगी. मुख्यमंत्री बुधवार को चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे.

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि बारिश, बाढ़ और दंगों में संपत्ति, पशुधन या मानव हानि के नुकसान की भरपाई हेतु सरकार ने ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल लॉन्च किया है. नुकसान के ब्योरे के लिए लोगों से आवेदन मांगे गए हैं. राजस्व विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा सत्यापन होने के बाद निर्धारित मानदंडों के अनुसार, DBT के माध्यम से मुआवजे का भुगतान किया जाएगा.

सीएम ने कहा कि सरकार ने मेरा पानी–मेरी विरासत योजना भी चला रखी है, जिसके तहत धान के स्थान पर अन्य फसलें उगाने वाले किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसलिए बारिश और बाढ़ के कारण जिन किसानों की धान की फसल प्रभावित हुई है, उन्होंने धान के स्थान पर दोबारा किसी अन्य फसल की बिजाई की है तो उन्हें इस योजना के तहत राशि दी जाएगी.

मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत किसानों से अपील की है कि वे धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती करें, ताकि जल संरक्षण हो सके. यह योजना स्वैच्छिक है और सरकार ने हर साल 1 लाख एकड़ क्षेत्र का लक्ष्य रखा हुआ है.

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