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8 राज्यों ने किया वाहनों पर समान टैक्स व्यवस्था का समर्थन, रोड सेफ्टी पर भी चर्चा

वाहनों पर समान टैक्स व्यवस्था को लेकर चंडीगढ़ में आठ राज्‍यों के परिवहन मंत्रियों ने बैठक की. इस बैठक में परिवहन नीति को लेकर चर्चा हुई. वहीं वाहनों पर समान टैक्‍स के बारे में सहमति बन गई है. इतना ही नहीं बैठक में सड़क सुरक्षा को लेकर चर्चा हुई.

हरियाणा रोडवेज

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Published : Jul 3, 2019, 11:11 AM IST

चंडीगढ़:पेट्रोल-डीजल और शराब पर समान टैक्स की कवायद में लगे उत्तरी भारत के राज्यों ने अब वाहनों के रजिस्ट्रेशन और परिवहन परमिट की दरें भी समान करने को लेकर चर्चा की है.

पांच राज्यों के परिवहन मंत्रियों में हुई बैठक

पांच राज्यों के परिवहन मंत्रियों के साथ आठ राज्यों के परिवहन सचिव और आयुक्तों में सहमति बनी है कि कर चोरी रोकने के लिए सभी राज्यों में वाहनों की रजिस्ट्रेशन फीस सहित दूसरे तमाम कर एक समान होने चाहिए. इसके अलावा रोड सेफ्टी के लिए मिलकर काम करने तथा सभी राज्यों में अंतरराज्यीय रूटों पर बसों के संचालन के लिए संयुक्त समझौते के प्रस्ताव पर सहमति बनी है.

बैठक में अंतरराज्यीय रूटों पर बसों के संचालन के लिए संयुक्त समझौते पर परिवहन मंत्रियों में बनी सहमति

चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में मंगलवार को हुई बैठक में मेजबान हरियाणा की ओर से परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार, उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पंजाब की रजिया सुल्तान, हिमाचल प्रदेश के गोविंद सिंह ठाकुर और दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने लंबी चर्चा की. इस दौरान उत्तराखंड, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ की नुमाइंदगी वहां के परिवहन सचिवों और परिवहन आयुक्तों ने की. अगली बैठक दिल्ली में बुलाई गई है, जहां परिवहन सचिव और परिवहन आयुक्त प्रस्ताव को सिरे चढ़ाने की कोशिश करेंगे.

पेट्रोल-डीजल और शराब पर समान टैक्स पर मंथन

हरियाणा के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि पूरे देश में एक समान कर प्रणाली जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू होने से राज्यों का राजस्व बढ़ा है. ऐसे में जरूरी है कि उत्तर भारत के सभी राज्य वाहनों के रजिस्ट्रेशन के साथ ही अन्य सभी कर एक समान रखें, ताकि टैक्स चोरी के फेर में वाहन मालिक वाहनों के पंजीकरण और परमिट के लिए पड़ोसी राज्यों की तरफ न भागें.

दिल्ली में यात्री कर शून्य, हिमाचल में रजिस्ट्रेशन टैक्स कम

हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में वाहनों के रजिस्ट्रेशन टैक्स में भारी अंतर का हवाला देते हुए हरियाणा के परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि टैक्स में एकरूपता के अभाव में लोग दूसरे राज्यों में जाकर वाहन खरीदते हैं. जिसके चलते स्थानीय सरकारों को घाटा होता है. इसी तरह दिल्ली में यात्री कर शून्य है, जबकि दूसरे राज्यों में इस टैक्स की अलग-अलग दरें है. यही वजह है कि वाहन मालिक सार्वजनिक वाहनों के लिए दिल्ली से परमिट लेना पसंद करते हैं.

दिल्ली की ओर से चार टैक्स के स्लैब का सुझाव जारी

हरियाणा के परिवहन सचिव धनपत सिंह ने बताया कि पिछले साल 19 अप्रैल को गुवाहाटी में हुई राष्ट्रीय स्तर की बैठक में सभी राज्यों ने दस लाख की कीमत वाले वाहनों पर आठ फीसद, 20 लाख के वाहनों पर दस फीसद और इससे अधिक कीमत वाले वाहनों पर 12 फीसद टैक्स पर सहमति बनी थी. डीजल वाहनों पर दो फीसद टैक्स ज्यादा लेने और इलेक्ट्रिक वाहनों पर दो फीसद कम टैक्स लेने पर सहमति बनी है. हालांकि अब इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स में 25 फीसद तक छूट दी जाएगी.

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि चूंकि मध्यम वर्ग भी कार खरीदता है, इसलिए छह लाख से कम कीमत वाले वाहनों पर कम टैक्स लगे, जबकि छह से दस लाख तक कीमत वाले वाहनों पर आठ फीसद टैक्स लगाया जाए.

सुरक्षा को लेकर भी हुई चर्चा

उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बढ़ते सड़क हादसों के लिए लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए मोटी जुर्माना राशि की पैरवी की. उन्होंने कहा कि दिल्ली-चंडीगढ़ में सख्ती के चलते सभी दुपहिया वाहन सवार हेलमेट और गाड़ी चालक सीट बेल्ट बांधकर चलते हैं, लेकिन यहां से बाहर निकलते ही सभी ट्रैफिक नियम भूल जाते हैं.

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