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राज्यसभा में फिर गूंजा अंतरजातीय विवाह का मुद्दा, कुमारी शैलजा ने दिया शून्यकाल नोटिस

राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा ने राज्यसभा में 'अंतरजातीय विवाह के जरिए सामाजिक एकीकरण की आवश्यकता' पर शून्यकाल नोटिस पेश किया है.

कुमारी शैलजा, राज्यसभा सांसद, कांग्रेस

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Published : Jul 18, 2019, 11:22 AM IST

चंडीगढ़: कांग्रेस की राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा ने राज्यसभा में समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कहा कि 'अंतरजातीय विवाह के जरिए सामाजिक एकीकरण की आवश्यकता है'. शैलजा ने अंतरजातीय विवाह पर शून्यकाल नोटिस दिया है.

क्या है शून्यकाल नोटिस

भारतीय संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के बाद का समय शून्यकाल होता है, इसका समय 12 बजे से लेकर 1 बजे तक होता है. दोपहर 12 बजे आरंभ होने के कारण इसे शून्यकाल कहा जाता है. शून्यकाल का आरंभ 1960 के दशक में हुआ था. शून्यकाल के समय उठाने वाले प्रश्नों पर सदस्य तुरंत कार्रवाई चाहते हैं.

अंतरजातीय विवाह आखिर क्या है?

जब दो लोग जो एक धर्म के तो हों लेकिन उनकी जाति और समुदाय अलग हों, शादी करते हैं तो इसे अंतरजातीय विवाह कहा जाता है. आजकल अंतरजातीय विवाह या इंटरकास्ट मैरिज का प्रचलन शहरीकरण के चलते बढ़ रहा है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा युवा महिला और पुरुष जाति के बंधनों से परे अपनी व्यक्तिगत पसंद से शादी करना चाहते हैं. सर्वोच्च न्यायलय ने भी इसे 'राष्ट्रहित' में मानते हुए मान्यता दे दी है.

अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को कुछ राज्यों में मिलती है आर्थिक मदद

शादी जैसी व्यक्तिगत चीज़ के सम्बन्ध में पैसे के बारे में बात करना थोड़ा अटपटा है, लेकिन लोगों को अंतरजातीय विवाह के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सरकार कई तरह की रोजगार सम्बन्धी मदद भी मुहैया कराई है. उदाहरण स्वरुप, पश्चिम बंगाल सरकार अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को 50,000 रूपए उपहार के रूप में देती है. तमिलनाडु में ऐसा करने वाले जोड़ों को सरकारी नौकरी में मदद मिलती है.

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