चंडीगढ़:योग गुरु बाबा रामदेव एलोपैथी दवाओं और मॉर्ड्न मेडिकल पर दिए बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. वो बीते कई दिनों में ऐसे बयान दे चुके हैं जिससे एलोपैथी के डॉक्टरों को काफी ठेस पहुंची है. यही कारण है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बाबा रामदेव के बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई है. आईएमए ने बाबा रामदेव पर कड़ी कार्रवाई की मांग भी की है. इसी को लेकर हमारी टीम ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन के सलाहकार डॉ. रमणीक सिंह बेदी से बात की.
'कोरोनिल से लोगों की जान को खतरा हो सकता है'
ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमें आयुर्वेद पर कोई आपत्ति नहीं है. हम भी भारतीय आयुर्वेद और योग का सम्मान करते हैं. हमें आपत्ति पतंजलि कंपनी के मालिक उद्योगपति और व्यापारी बाबा रामदेव के बयानों पर है. उन्होंने कहा कि उनके बयानों से लोगों की जान को खतरा हो सकता है. वो लोगों को गलत जानकारी दे रहे हैं. डॉ. रमणीक बेदी ने कहा बाबा कह रहे हैं कोरोनिल से कोरोना का इलाज होगा, जो गलत बात है.
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डॉ. बेदी ने कहा कि हम आयुर्वेद के महत्व पर सवाल नहीं उठा रहे हैं. लेकिन आयुर्वेद को लेकर जितनी रिसर्च होनी चाहिए थी उतनी नहीं हुई. आयुर्वेद की दवाओं पर ये नहीं लिखा होता है कि किस दवा से किसको कितना साइड इफेक्ट हो सकता है. जबकि एलोपैथी में दी गई हर दवा के ऊपर हर तरह की जरूरी जानकारी दी जाती है. यहां तक कि जिस स्टेरॉइड्स पर बाबा रामदेव सवाल उठा रहे हैं वो भी पौधों से ही लिया जाता है. जिसके बाद उससे दवाइयां बनाई जाती हैं.
उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव के बयान सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं इसीलिए आईएमए को आगे आना पड़ा है. बाबा रामदेव अपनी दवा कोरोनिल से कोरोना का शर्तिया इलाज बता रहे थे. लेकिन डब्ल्यूएचओ ने भी इस दवा को मान्यता नहीं दी. जब सवाल उठने लगे तो वो इसे इम्यूनिटी बूस्टर कहने लगे.