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237 कानूनों से पंजाब का नाम हटाएगा हरियाणा, कमेटी का हुआ गठन - ज्ञानचंद गुप्ता हरियाणा कानून पंजाब नाम

हरियाणा सरकार ने कानूनों में से पंजाब शब्द हटाने का निर्णय लिया है. विधानसभा स्पीकर ने बताया कि हरियाणा में 237 ऐसे कानून हैं जिनमें नाम में पंजाब का नाम है. इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है, जो दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

Haryana will remove Punjab's name from its laws
Haryana will remove Punjab's name from its laws

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Published : Sep 24, 2020, 8:33 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले में हरियाणा के कानूनों से पंजाब का नाम हटाने की बात कही गई है. पंजाब से अलग हुए हरियाणा को 54 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी हरियाणा के 237 कानून ऐसे हैं जो पंजाब के नाम से हैं.

अब हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने पंजाब का नाम अपने कानूनों से हटाने के लिए एक कमेटी का गठन करवाया है. इसके लिए कानून एवं विधि निर्माण विभाग की कानून सचिव की अध्यक्षता में 5 सदस्यों की एक कमेटी बनाने को कहा गया है जो 2 महीने में अपनी रिपोर्ट विधानसभा स्पीकर को देगी.

हरियाणा अपने कानूनों से हटाएगा पंजाब का नाम, देखें वीडियो

विधानसभा स्पीकर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा के स्तर में इसको लेकर फैसला लिया जाएगा. ज्ञानचंद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने हरियाणा की मुख्यसचिव एवं विधानसभा के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. बैठक में सामने आया कि 237 कानून अभी ऐसे हैं जो पंजाब के नाम से हैं. स्पीकर ने कहा कि इसके बाद इन नामों को हटाने के लिए एक कमेटी गठित करने को कहा गया है.

स्पीकर ने कहा कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री के परामर्श से पंजाब शब्द हटाकर हरियाणा किया जाएगा. विधानसभा स्पीकर ने कहा कि महाराष्ट्र से अलग होने के बाद 2011 में गुजरात ने इसी तरह से बॉम्बे एक्ट में संसोधन कर अपने कानूनों से महाराष्ट्र (बांबे) का नाम हटाया था. उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

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गौरतलब है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत वर्ष 1966 में हरियाणा राज्य का गठन किया गया था. तब पंजाब में जिन अधिनियमों का अस्तित्व था , वो ही हरियाणा में लागू रहे थे. व्यवस्था ये भी बनी थी अगले 2 वर्ष में हरियाणा अपनी जरूरतों के मुताबिक इनमें आवश्यक संसोधन कर सकेगा. अनावश्यक अधिनियमों को हटाने का अधिकार भी प्रदेश विधानसभा को मिला हुआ है.

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