चंडीगढ़: प्रदेश सरकार खनन करने वाली कंपनियों के ऊपर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है. ये शिकंजा उन कंपनियों पर कसा जाएगा. जिन्होंने दबाकर खनन तो किया, लेकिन नियमों के मुताबिक प्रदेश को उसके खजाने के लिए पैसा समय अनुसार नहीं दिया. जिसके कारण खनन विभाग का 500 करोड़ रुपया बकाया हो चला है. ये बकाया निकलवाने के लिए विभाग ने खनन कंपनियों की प्रॉपर्टी को अटैच करने का फैसला लिया है, जिसको लेकर मंत्रालय की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया है.
हरियाणा प्रदेश खनन और परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा और विभागीय अफसर वर्तमान में खनन करने वाले ठेकेदारों और कंपनियों से आने वाले सामग्री ही नहीं बल्कि पुरानी बकाया पड़ी 500 करोड़ से ऊपर की राशि को वसूलने की तैयारी में है.
इसी कड़ी में बीते शुक्रवार को हरियाणा निवास में एक बैठक भी बुलाई गई थी. आला अफसरों ने साफ कर दिया कि डिफॉल्टर से बकाया राशि की वसूली हर सूरत में की जाएगी. इतना ही नहीं इस तरह के सूचीबद्ध लोगों से वसूली समय में क्यों नहीं की गई? अगर वो पैसा नहीं चुकता कर रहे थे तो उनकी संपत्ति अटैच क्यों नहीं की गई? इस तरह के सवाल अपने ही विभाग के अफसरों और कर्मचारियों से आने वाले समय में किए जा सकते हैं. इसका सही जवाब नहीं दे पाने वाले और लापरवाही, मिलीभगत करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा भी कसा जा सकता है.
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