हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

हरियाणा में कृषि अध्यादेशों पर गरमाई सियासत, संसद के बाहर किसानों का महासंग्राम!

हरियाणा सहित कई राज्यों के किसानों ने बुधवार को संसद के बाहर प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन गुरुद्वारा बंगला साहिब से शुरू होकर संसद भवन तक पहुंचा.

haryana farmers protest outside parliament against agriculture ordinance
संसद के बाहर महासंग्राम!

By

Published : Sep 16, 2020, 11:36 AM IST

Updated : Sep 16, 2020, 3:35 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों में इन दिनों कृषि अध्यादेशों को लेकर बवाल मचा हुआ है. हरियाणा में अध्यादेशों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर 10 सितम्बर को लाठियां भी भांजी गई थी. इसी बीच सरकार ने इन अध्यादेशों को कानून की शक्ल देने के लिए इसे संसद के पटल पर रख दिया है. लेकिन इस पर शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है.

इन अध्यादेशों के विरोध में आज हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया. हालांकि मंगलवार को प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर विरोध को खत्म करने की कोशिश जरूरी की थी, लेकिन दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बुलाई गई इस बैठक का भारतीय किसान यूनियन ने बहिष्कार कर दिया.

संसद के बाहर किसानों का महासंग्राम!

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि जब तक तीनों कृषि अध्यादेश वापस नहीं लिए जाते तब तक केंद्रीय कृषि मंत्री से कोई बात नहीं होगी. साथ ही उन्होंने आरोप लगया कि सरकार कुछ किसान नेताओं को अपने साथ लेकर कृषि अध्यादेशों को पास कराना चाहती है. वहीं दूसरी तरफ कृषि मंत्री जेपी दलाल ने भी बिना नाम लिए कुछ किसान नेताओं पर कांग्रेस समर्थक होने का आरोप लगा दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजनीतिक स्वार्थ के चलके कुछ किसानों की आड़ में राजनीति कर रही है.

चलिए अब जान लेते हैं कि आखिर हरियाणा सहित देश के दूसरे राज्यों के किसान इन अध्यादेशों का विरोध कर क्यों रहे हैं?

1.व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:

इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

2.मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:

इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश है किसान?

इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

3.आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश:

देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

हरियाणा में चढ़ा सियासी पारा

कांग्रेस से लेकर इनेलो तक, सभी विरोधी पार्टियां इस मुद्दे पर सरकार को घेरती नजर आ रही हैं. नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता किरण चौधरी ने कहा कि वो किसानों के साथ हैं और बीजेपी किसानों को कांग्रेसी बता कर लाठीचार्ज को छुपाना चाहती है. उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज कर बीजेपी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. दूसरी तरफ इनेलो नेता अभय चौटाला भी किसानों के साथ खड़े होने की बात कही.

ये भी पढ़िए:हरियाणा से लेकर दिल्ली तक किसानों ने दिखाया दम, केंद्र से नहीं बनी बात

एक बात तो साफ है कि ना तो किसान पीछे हटने वाले हैं और ना ही सरकार अध्यादेशों को वापस लेने के मूड में नजर आ रही है. ऐसे में आज जब दूसरे राज्यों के किसानों के साथ मिलकर हरियाणा के किसान दोबारा सड़क पर होंगे तो क्या एक बार फिर उन्हें लाठियों से पीटा जाएगा? या कृषि अध्यादेशों को पास करने से पहले उनसे एक बार बातचीत की जाएगी.

Last Updated : Sep 16, 2020, 3:35 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details