हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला. चंडीगढ़: हरियाणा में अगले साल पहले लोकसभा और फिर साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए सभी दलों ने अपनी तैयारियां जोरों पर शुरू कर दी हैं. इस सबके बीच हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बयान दिया है कि अगर हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों एक साथ हों तो उससे चुनावों में होने वाला खर्च और चुनाव ड्यूटी में जाने वाले अधिकारियों का वक्त बचेगा. उन्होंने कहा है कि देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ होने से सभी को फायदा होगा.
वैसे भी देश में यह चर्चा कई बार हो चुकी है कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए. जिससे पैसे और अन्य संसाधनों की भी बचत होगी. हालांकि इसको लेकर अभी तक किसी भी तरह की आम राय नहीं बन पाई है. इस सब के बीच अगले साल हरियाणा में लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में दुष्यंत चौटाला के इस बयान के राजनीतिक मायने भी निकलते हैं.
क्या कहते हैं बीजेपी के प्रवक्ता?:इसी मुद्दे पर बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि देश में इसको लेकर पहले भी चर्चा होती रही है और तमाम राजनीतिक दलों की इसको लेकर एक कमेटी भी बनाई गई थी. लेकिन, इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस बात की पक्ष में हैं कि देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने चाहिए. इससे ना सिर्फ कर्मचारियों और अधिकारियों का समय बचता है बल्कि आर्थिक बोझ भी देश पर कम पड़ता है. जिससे विकास कार्यों में लगाया जा सकता है. यानी में भी इस बात के पक्ष में है कि देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए.
क्या कहते हैं कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता?: इस मामले में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि दुष्यंत चौटाला इस तरह के बयान देकर बीजेपी के सहारे अगले चुनाव में अपनी नैया पार लगाना चाह रहे हैं. जबकि बीजेपी, जेजेपी को साथ लेकर अगले चुनाव मैदान में उतरना नहीं चाह रही है. वे कहते हैं कि इस तरह के बयान दे कर वे अपनी राजनीतिक मंशा को पूरा करना चाहते हैं. उन्होंने कि मोदी लहर का फायदा उठाकर जेजेपी चाहती है कि उसकी नैया भी पार लग जाए और उनके द्वारा किए गए घोटालों से भी वे बच जाएं. जबकि ऐसा होने वाला नहीं है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि यह बहस आज की नहीं है, काफी समय से इसको लेकर देश में चिंतन हो रहा है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव पूरे देश में एक साथ करवाए जाएं. लेकिन, राजनीतिक दलों में सहमति न बनने से यह विचार धरातल पर नहीं उतर पा रहा है. वे कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाने की फायदे भी हैं, इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि चुनाव में खर्च किए जाने वाले करोड़ों रुपए की इससे बचत होगी. साथ ही चुनाव के दौरान लगाई जाने वाले कर्मचारियों का समय भी बचेगा.
प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि, जहां तक बात हरियाणा की है तो इसमें कोई शक नहीं है कि अगर लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव होंगे तो सत्ता पक्ष उसका लाभ उठाना चाहेगा. वहीं, वे कहते हैं कि इन दोनों चुनावों को एक साथ करवाने से विपक्ष को यह भी डर है कि देश में जब बीजेपी मोदी के नाम पर वोट मांगेगी तो देश में जिन मुद्दों पर बात हो रही होगी, वह मुद्दे राज्यों के चुनाव के मुद्दों पर असर करेंगे. वहीं, हरियाणा के संदर्भ में भी कहते हैं कि हो सकता है हरियाणा में लोकसभा के चुनाव के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी हो जाएं. क्योंकि हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल भी लोकसभा चुनावों के दौरान करीब पांच से छह महीने का रह जाएगा. ऐसे में विधानसभा चुनाव राज्य में हो तो उसमें भी कोई हैरानी नहीं होगी.
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