चंडीगढ़: हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा चुनाव भी होने हैं. इन चुनावों से पहले राज्य सरकार सरकारी नौकरियों और सरकारी कर्मचारियों को लेकर बड़े बड़े फैसले ले रही है. राज्य सरकार अगले कुछ महीनों में 60 हजार नौकरियां देने की तैयारी में है, जिसमें से कुछ की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, कुछ की जारी है और कुछ की आने वाले समय में पूरी होंगी.
चुनावी हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी BJP!: इसके साथ ही सरकार मौजूदा कर्मचारियों के हितों को लेकर भी लगातार काम कर रही है. कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार कई अहम फैसले ले रही है. फिर चाहे बात कर्मचारियों के मुद्दों की हो या फिर उन्हें अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने की सरकार लगातार इस पर काम कर रही है. यानी नौकरियां देना हो या फिर कर्मचारियों के हित सरकार लगातार इस पर काम कर रही है. आखिर इसके क्या मायने हैं आइए जानते हैं.
दिसंबर तक 60 हजार नौकरियां देने के वादा: हरियाणा सरकार का दावा है कि उसने बीते 9 साल में बिना खर्ची और पर्ची के एक लाख चौदह हजार से अधिक नौकरियां दी. वहीं, इस साल दिसंबर तक 60 हजार नौकरियां देने का दावा है. इसके लिए हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ग्रुप सी और डी के 30 हजार से अधिक नौकरियां दी रही है. वहीं, पीजीटी के 4476 पदों के लिए भी भर्ती प्रक्रिया चल रही है, या हो गई है. इसके साथ ही अन्य भर्तियों पर भी प्रक्रिया जारी है. वहीं, हरियाणा सरकार विभिन्न पदों पर हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत भी हजारों भर्तियां कर रही है.
भर्ती परीक्षा में हरियाणा से संबंधित 20 सवाल: इसके साथ ही हरियाणा में होने वाली भर्ती परीक्षा में हरियाणा से संबंधित 20 सवाल पूछने की भी तैयारी सरकार ने कर ली है. माना जा रहा है कि इस पर हरियाणा सरकार की अगली होने वाली कैबिनेट बैठक में फैसला लिया जा सकता है. दरअसल इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर था. उनके आरोप यह है कि इन परीक्षाओं में हरियाणा से संबंधित सवाल नहीं पूछे जा रहे हैं, या फिर वह बहुत कम है.
क्या नौकरियों से होगा बेड़ा पार, क्या कहते हैं जानकार?: हरियाणा सरकार की नौकरियां देने के मामले पर राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि प्रदेश की बीजेपी सरकार इसको अपने एजेंडे में लेकर चल रही है कि उसने पूर्व की सरकारों की तरह पैसे और पर्ची से नौकरियां नहीं दी. यानी बिना खर्ची, पर्ची के योग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी. वहीं, दिसंबर तक सरकार दावा कर रही ही है कि वह 60 हजार नौकरियां देगी. लेकिन, विपक्ष इस सरकार में एचपीएससी और एचएसएससी की भर्तियों में गोलमाल का आरोप लगता रहा है. एचपीएससी में तो एक अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे. ऐसे में क्या नौकरियां देने का दावा शत प्रतिशत वोट का लाभ सरकार को दे पाएगा कहना मुश्किल है. वे कहते हैं कि अगर सच में उन लोगों को नौकरी मिली है जो कभी सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद नहीं कर सकते थे, तो उसका सरकार को जरूर फायदा मिल सकता है.
सरकारी नौकरी और वोट कन्वर्ट: वहीं, नौकरियां देने से क्या सरकार को इसका चुनावी फायदा हो सकता है तो इस पर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि जिस सरकार के वक्त किसी घर में सरकारी नौकरी मिलती है तो निश्चित तौर पर परिवार और उसके रिश्तेदार तो इससे प्रभावित होते हैं. हालांकि वो वोट में कितने कन्वर्ट होते हैं कह पाना मुश्किल है. वे कहते हैं कि जैसा कि सरकार आने वाले दिनों में हजारों सरकारी नौकरी देने की बात कर रही है और अगर वह नौकरी सही उम्मीदवार को मिलती है तो उसके यानी उम्मीदवार और उसके परिजन निश्चित तौर पर सरकार के गुणगान करते हैं. लेकिन, वोट में अगर इसका कन्वर्जन होता है तो उसका लाभ सत्ताधारी दल उठा सकता है.
सरकारी नौकरी, भर्ती प्रक्रिया और विवाद: इधर इसी मुद्दे को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजेश मुदगिल कहते हैं कि अगर सरकार सही से भर्ती प्रक्रिया और सही उम्मीदवारों का चयन करने में कामयाब होती है, तो निश्चित तौर पर ही उसका उसे लाभ होगा. लेकिन, हरियाणा की बहुत सारी सरकारी भर्तियां विभिन्न विवादों के चलते कोर्ट में लटकी पड़ी है. जिस वजह से इन परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवार परेशानी का सामना कर रहे हैं. वे कहते हैं कि अगर सही मायने में सरकार इन भर्तियों को निपटने में कामयाब होती है और जो भर्तियां हो रही हैं, वह बिना किसी विवाद के हो जाती हैं तो इसे एक बेहतर कदम माना जाएगा. जिसका निश्चित तौर पर मौजूदा सरकार आने वाले चुनाव में फायदा भी उठाना चाहेगी.