चंडीगढ़: राजस्थान में जननायक जनता पार्टी की करारी हार के बाद हरियाणा में लगातार बीजेपी के कुछ नेता फिर से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से अलग होने की बात कह रहे हैं. क्या राजस्थान के चुनावी नतीजे के बाद हरियाणा में बीजेपी अकेले दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है? वहीं, विपक्षी पार्टियां भी लगातार जेजेपी को टारगेट कर रही हैं आखिर ऐसा क्यों है?
सरकार बनने की शुरुआत से ही गठबंधन रहा निशाने पर: जब से हरियाणा में बीजेपी, जेजेपी गठबंधन की सरकार बनी है, तब से इस गठबंधन की सरकार को विपक्ष खास तौर पर बेमेल बताता रहा है. इसकी वजह भी रही है, क्योंकि 2019 में विधानसभा चुनाव बीजेपी और जेजेपी ने अलग-अलग लड़े थे. हालांकि चुनाव के बाद किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने से बीजेपी और जेजेपी ने मिलकर हरियाणा में सरकार बनाई. जिसके बाद से ही विपक्ष कई मौकों पर इस गठबंधन पर सवाल खड़े करता रहा है.
चार साल बीतने के बाद भी गठबंधन बरकरार: बीतते वक्त के साथ गठबंधन की इस सरकार ने 4 साल से ज्यादा का समय निकाल लिया. इन चार सालों में कई बार ऐसे मौके आए जब यह लगने लगा कि शायद यह गठबंधन टूट जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. किसान आंदोलन के वक्त भी जब बीजेपी के खिलाफ प्रदेश में लहर थी तो जननायक जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ भी लोगों में रोष था और जननायक जनता पार्टी के नेताओं पर गठबंधन को तोड़ने का दबाव भी हर तरफ से बना. जननायक जनता पार्टी ने इस दबाव को झेलते हुए भी बीजेपी का साथ नहीं छोड़ा. हालांकि वे इस मुद्दे पर किसानों के साथ अपनी सहानुभूति दिखाते रहे.
बीजेपी के संगठन से उठी आवाजें, लेकिन गठबंधन जारी: अब 4 साल के बाद साल 2023 में बीजेपी के कई नेताओं के सुर गठबंधन को तोड़ने की दिशा में दिखाई दे रहे हैं. कई नेताओं ने अपने बयानों से इस गठबंधन के टूटने की अटकलें को हवा दी. क्या पार्टी के प्रभारी विप्लव देव, क्या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, क्या चौधरी बीरेंद्र सिंह. इन सभी के बयान कुछ ऐसे आने लगे जिससे यह लगा कि गठबंधन कभी भी टूट सकता है. बावजूद इसके गठबंधन चल रहा है. हालांकि सरकार में शामिल बीजेपी के मंत्री और मुख्यमंत्री हमेशा इस मुद्दे पर केंद्रीय नेतृत्व के पाले में गेंद डालते रहे.
तीन राज्यों की जीत के बाद फिर चर्चा हुई शुरू: अब तीन राज्यों में बीजेपी को मिली सफलता के बाद फिर से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन कभी भी टूट सकता है. दरअसल जननायक जनता पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमानी निकली थी और पार्टी ने 19 सीटों पर चुनाव भी लड़ा. इस दौरान कुछ कार्यक्रमों में जननायक जनता पार्टी के नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ भी बयान दिए. वहीं, इस बात को छोड़ भी दिया जाए तो जननायक जनता पार्टी राजस्थान के चुनाव में अधिक कुछ नहीं कर पाई और उसके अधिकांश नेताओं की जमानत जब्त हो गई.
ऐसे में हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के साथ को लेकर और फिर से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद यह गठबंधन आगे नहीं चलेगा. एक तरफ बीजेपी के नेता तीन राज्यों में मिली चुनावी सफलता के बाद मोदी लहर में हरियाणा में फिर से सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रहे हैं तो वही कुछ नेता अब एक बार फिर से जेपी से अलग होने की बात कह रहे हैं.
चौधरी बीरेंद्र ने फिर से उठाए गठबंधन पर सवाल: इस कड़ी में सबसे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह का बयान आया कि जननायक जनता पार्टी के नेता या तो अपनी पार्टी बीजेपी में मर्ज करवा ले, या फिर साथ छोड़ दें. यानी वे जननायक जनता पार्टी को गठबंधन छोड़ने की नसीहत भी देते नजर आ रहे हैं.
अनिल विज एक तीर से साध चुके हैं दो निशाने: वहीं, राजस्थान में मिली चुनावी जीत के बाद हरियाणा के गृह मंत्री के एक बयान को लेकर भी खासी चर्चा हुई. जिसमें उन्होंने जननायक जनता पार्टी का नाम लिए बगैर राजस्थान चुनाव में आम आदमी पार्टी की हुई बुरी तरह हार पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) अब जेजेपी यानी जमानत जब पार्टी हो गई है.
जेजेपी के नेताओं ने बीरेंद्र सिंह के बयान पर किया पलटवार: चौधरी वीरेंद्र सिंह के बयानों पर जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला कहते हैं कि, चौधरी वीरेन्द्र सिंह के बयान उनके लिए हास्यास्पद है. वह कहते हैं कि वह चौधरी वीरेंद्र सिंह की इज्जत करते हैं, लेकिन चौधरी वीरेंद्र सिंह अपने बयानों पर कायम रहने वाले नेता नहीं है. वे बिन पेंदे के लोटे हैं.