चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में विधायक दल के नेता के नाम पर चर्चा की गई और प्रस्ताव आलाकमान को भेज दिया गया और अब सबकी नजरें कांग्रेस आलाकमान के फैसले पर टिकी हुई हैं.
हुड्डा बन सकते हैं विधायक दल के नेता
लेकिन विधायक दल के नेता की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में जाती दिखाई दे रही है. इसके संकेत हरियाणा कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने दिए हैं. चंडीगढ़ मीटिंग के बाद जब गुलाम नबी आजाद मीडिया से बात कर रहे थे तो उनकी बातों से साफ झलक रहा था कि वो इस पर भूपेंद्र हुड्डा को विधायक दल का नेता देखना चाहते हैं. शायद यही वजह है कि हुड्डा ने विधायक दल का नेता चुना जाने के लिए ये प्रस्ताव आलाकमान को भेजा है.
हुड्डा के समय में उभरती कांग्रेस
बता दें कि जब से हरियाणा कांग्रेस की कमान भूपेंद्र हुड्डा ने संभाली है तब से कांग्रेस हरियाणा में कांग्रेस में एक नई ताजगी देखी जा रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि 2014 के चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी और प्रदेश में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी. लेकिन फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा कांग्रेस की कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हाथों में सौंपी गई और हुड्डा ने यह साबित कर दिया कि हरियाणा में आज भी जनता उनको ही पसंद करती है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस को 2014 की तुलना में दोगुनी सीटें मिली है. इस बार के चुनाव में कांग्रेस 31 सीटें जीतने में कामयाब रही है.
हरियाणा कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद ये भी पढ़ें:-53वां स्थापना दिवस: राजनीति से लेकर खेल तक, हरियाणा ने इन क्षेत्रों में भी स्थापित किए कीर्तिमान
वहीं हरियाणा कांग्रेस के बड़े दिग्गज साइडलाईन में खड़े दिखाई दे रहे हैं, जिनमें से एक अशोक तंवर ने तो कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. रणदीप सिंह सुरजेवाला भी इस चुनाव में अपनी कैथल सीट गवां चुके हैं. लेकिन हरियाणा कांग्रेस से ज्यादा उनकी पहचान राष्ट्रीय कांग्रेस में रही है. शुरू से ही वो राहुल गांधी के करीबी रहे हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने विधानसभा क्षेत्र से रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की है और इस चुनाव में साबित कर दिया है कि हरियाणा कांग्रेस में उनके बिना कुछ भी नहीं है.