चंडीगढ़: कोरोना संक्रमण 21वीं सदी में पूरी दुनिया के लिए एक ऐसी मुसीबत बन कर आया. अच्छे अच्छे देश बेहाल हो गए. भारत पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ा. बिना किसी तैयारी के एक दम से इतनी बड़ी मुसीबत सामने आने से देश को आर्थिक रूप से काफी बड़ा झटका लगा. ऐसे में इस मुसीबत के वक्त में राहत कोष बनाए गए. केंद्र के साथ सभी राज्यों में राहत कोष बनाया गया. ताकि सक्षम लोगों की मदद से आम और जरूरत मंद लोगों को राहत पहुंचाया जा सके.
5 गांवों ने दी 50 करोड़ की डोनेशन
हरियाणा में भी कोरोना से लड़ाई के लिए 'हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड' बनाया गया. लोगों ने दिल खोल कर फंड भी दिया. लेकिन इस बीच कुछ हैरान करने वाले फंड भी सामने आए. रिलीफ फंड में प्रदेश के कुछ ग्राम पंचायतों ने भी भारी भरकम रकम दी. ये रकम इतनी भारी भरकम है कि आप विश्वास नहीं कर पाएंगे.
कोरोना संकट की इस घड़ी में इन गांवों ने आगे आकर 50 करोड़ का डोनेशन दिया है. अब इस खबर को पढ़ने-सुनने वाला यही सोच रहा होगा. कि आखिर इन गांव वालों ने इतनी बड़ी रकम दे कैसे दी. कोई ये भी सोच रहा होगा कि शायद हरियाणा के इन गांवों में रहने वाले लोग काफी रईस हैं. लेकिन सच ये नहीं है. इन सभी ने कोरोना रिलीफ फंड में ये डोनेशन गांव के डेवलपमेंट फंड से दिए गए हैं.
क्या होता है डेवलपमेंड फंड?
जी हां. 'डेवलपमेंट फंड'. अंग्रेजी को हिंदी में समझा जाए तो इसे 'विकास कोष' कह सकते हैं. यानी ये वो रकम होती है जो ग्राम पंचायत या तो सरकार से हासिल करती है, या फिर अपनी संपत्तियों से कमाती है, जैसे कि ग्राम पंचायत की जमीन को सरकारी, निजी और सहकारी कंपनियों को बेचकर या लीज पर देकर.
अमूमन इस फंड को ग्राम पंचायत अपने गांव के विकास के लिए खर्च करती हैं, जैसे कि बिजली-पानी की व्यवस्था करवाना, सड़कें पक्की करवाना, जोहड़ बनवाना, स्कूलों की मरम्मत, जागरुकता आदी-आदी. लेकिन इन पांचों गांवों अपने इस फंड की बहुत बड़ी राशि हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में दे दी.
अकेले पलड़ा गांव ने दिए 21 करोड़ रुपये
हरियाणा के 7,000 की आबादी वाले पलड़ा गांव ने तो अकेले ही रिलीफ फंड को 21 करोड़ दान में दिए हैं. पानीपत के बाल जटान ने 10.50 करोड़ रुपये दिए और बाकी गावों ने भी 5 से 10 रुपये की डोनेशन दी. अब सवाल ये है कि क्या ये गांव इतने सक्षम हैं कि ये सरकार से मदद मांगने की बजाय, मदद दे रहे हैं.