चंडीगढ़:आंखें, शरीर के बेहद नाजुक और जरूरी अंगों में से एक होती हैं. अगर ये सलामत हैं तो आप इस अतरंगी दुनिया को देख सकते हैं. आंखे इतनी नाजुक होती हैं कि थोड़ी सी लापरवाही बरतने पर इन्हें नुकसान पहुंच सकता है, लेकिन कोरोना काल खासकार लॉकडाउन की वजह से आंख के मरीजों को ना सिर्फ काफी परेशानी झेलनी पड़ी बल्कि आई सर्जरी भी इस दौरान ना के बराबर ही हुई.
लॉकडाउन इफेक्ट: 70 फीसदी कम हुए आंखों के ऑपरेशन, इलाज में देरी से मरीजों ने भुगता खामियाजा चंडीगढ़ के जाने-माने आई स्पेशलिस्ट डॉ. एसपीएस ग्रेवाल की मानें तो लॉकडाउन की वजह से हर तरह की सर्जरी पर असर पड़ा है. साथ ही ओपीडी के मरीजों में भी 70 प्रतिशत की गिरावट आई है.
कोरोना और लॉकडाउन का असर सभी तरह की सर्जरी पर पड़ा है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान डोनर नहीं मिलने की वजह से कॉर्निया ट्रांसप्लांट ना के बराबर ही हुआ. कॉर्निया सेंटर के मालिक और आई सर्जन डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि उनके आई सेंटर में लॉकडाउन के दौरान और बाद में एक भी कॉर्निया ट्रांसप्लांट नहीं किया गया.
डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान वो सभी टेस्ट भी नहीं हो पाए, जो कॉर्निया ट्रांसप्लांट के दौरान किए जाते हैं. हालांकि आंखों के ऑपरेशन से जुड़ी कई सुविधाएं उनके पास मौजूद थी, लेकिन डोनर नहीं मिल पाने की वजह से और हवाई यात्रा बंद होने की वजह से आई बैंक की ओर से भेजा जाने वाला कॉर्निया उनतक नहीं पहुंच पाया. उन्होंने कहा कि लेकिन अब जब अनलॉक चल रहा है तो धीरे-धीरे कॉर्निया ट्रांसप्लांट शुरू किया जा रहा है.
वैसे तो लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन ही आंखों के मरीजों की समस्या को दूर करने की कोशिश की गई, लेकिन फिर भी इस दौरान ऐसे कई मरीज थे. जिनकी आंखों पर सही इलाज नहीं मिलने का असर पड़ा है. डॉ. एसपीएस ग्रेवाल ने बताया कि उनके क्लीनिक की ओर से किए गए सर्वे के मुताबिक ऐसे कई मरीज हैं जिनकी आंखों पर इलाज नहीं मिलने का असर पड़ा है.
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कई मरीज ऐसे थे जिनका लॉकडाउन से पहले ऑपरेशन किया गया था, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद उनकी सही तरीके से देखभाल नहीं हो पाई, क्योंकि मरीज लॉकडाउन के वक्त में डॉक्टर की सहायता भी नहीं ले पाए. जिस वजह से उनकी आंखों को नुकसान पहुंचा है. अब राहत की बात ये है कि मरीज बिना किसी रुकावट के आखों का इलाज करा रहे हैं.