चंडीगढ़:कंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बुधवार को MSMEs के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा की. इस घोषणा के बाद हरियाणा के एमएसएमई को कितना फायदा हुआ और उससे प्रदेश को कितनी मदद मिलेगी, इस बारे में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने अर्थशास्त्री बिमल अंजूम से खास बातचीत की
बिमल अंजुम का कहना है कि MSMEs के संदर्भ में हरियाणा देश का बहुत महत्वपूर्ण राज्य है. क्षेत्रफल की दृष्टि से हरियाणा केवल 1.34 प्रतिशत है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था में 4-5 प्रतिशत योगदान दे रहा है. बिमल अंजुम के मुताबिक पूरी भारत की जीडीपी में 4-6 प्रतिशत हिस्सा एमएसएमई का होता है. जिसमें हरियाणा के एमएसएमई 3-4 हिस्सा अकेले देते हैं. अकेला हरियाणा दो तिहाई पैसेंजर कार बनाता है. लगभग 50 से 60 प्रतिशत ट्रैक्टर हरियाणा बनाता है, 60 प्रतिशत मोटर साइकिल हरियाणा बनाता है. ये सभी बेशक बड़े उद्योग हैं, लेकिन इन उद्योगों को पुर्जे मुहैया करवाने वाले एमएसएमई हरियाणा में ही हैं. सबसे बड़ा फायदा ये भी है कि हरियाणा 57 प्रतिशत हिस्सा एनसीआर में आता है. यही वजह है कि यहां का विकास की दर ज्यादा है. यहां शिक्षा दर भी सही है. ऐसे माहौल में हरियाणा में एमएसएमई अच्छे से पनपे हैं.
कृषि प्रधान राज्य होने के बावजूद MSME का बड़ा योगदान
अंजुम का कहना है कि वैसे हरियाणा को कृषि प्रधान राज्य माना जाता है, लेकिन हरियाणा की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 33-34 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है, इसके बाद भी कृषि क्षेत्र में बाकी सभी उद्योगों से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. ये इसलिए है क्योंकि इस क्षेत्र में जहां 4 लोगों की जरूरत है वहां 7-8 लोग काम कर रहे हैं, यानी कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेरोजगारी ज्यादा है. ऐसे में हरियाणा में एमएसएमई अहम भूमिका निभा रही हैं.
अर्थशास्त्री अंजुम का कहना है कि प्रदेश की समस्या का हल करने के लिए एमएसएमई का विकास करना बेहद जरूरी है. केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से 3 लाख करोड़ रुपये का पैकेज हरियाणा को दिया है. जो कि प्रदेश के सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यही नहीं केंद्र ने ये भी फैसला किया है कि 45 लाख यूनिट्स स्थापित किए जाएंगे. इससे रोजगार के अवसर पनपेंगे. एक युनिट अगर कम से कम 10 लोगों को रोजगार दे रही है तो पूरे देश में 4.5 करोड़ लोगों को नए एमएसएमई रोजगार देंगे.
उन्होंने कहा कि आज इस पैकेज की बहुत जरूरत थी. आज जो प्रवासी मजदूर रोजगार खत्म होने की चिंता में प्रवास कर रहे हैं, उन्हें अब वहां रुक जाना चाहिए जहां वो काम कर रहे थे. केंद्र सरकार ये योजना तीन महीने तक चलाने वाली है, इस बीच लघु उद्योग तेजी से काम करेंगे और मैनपॉवर की जरूरत होगी जो लेबर उपलब्ध होगा उसे काम भी मिलेगा. ऐसे में घर जा कर बैठे मजदूर रोजगार से चूक जाएंगे.