हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

लॉकडाउन के चलते आर्थिक संकट में कुम्हार, हालात देखकर पसीज जाएगा दिल

लॉकडाउन की वजह से कुम्हार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. कुम्हारों के मुताबिक लॉकडाउन में उनके मिट्टी से बने बर्तन ना के बराबर बिके हैं. जिससे उन्हें जीवन यापन में परेशानी हो रही है.

Economic crisis on potters
Economic crisis on potters

By

Published : Jun 17, 2020, 3:32 PM IST

चंडीगढ़: 'ये फकत मिट्टी के बर्तन नहीं है साहब बिक जाएं तो घर के अरमान खरीद लूं' ये चंद लाइने मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों पर एक दम सटीक बैठती है. लॉकडाउन में उनके सारे अरमान मिट्टी में मिल गए हैं. बच्चों की पढ़ाई तो दूर अब खाने के लिए भी कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है.

गर्मी के मौसम का कुम्हार बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं. क्योंकि इस सीजन में उनके बनाए मिट्टी के घड़ों की बिक्री शुरू हो जाती है. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से मिट्टी के बर्तन ना के बराबर बिके हैं. अतर सिंह ने बताया कि 3 महीनों से वो जैसे-तैसे अपना घर चला रहे हैं.

लॉकडाउन के चलते आर्थिक संकट में कुम्हार, देखिए ये रिपोर्ट.

अतर सिंह ने बताया कि जो भी जमा पूंजी थी वो खर्च हो चुकी है और अब तक उनका सामान बिकना भी शुरू नहीं हुआ है. जिस वजह से वो काफी मुश्किल हालात में जीवन यापन कर रहे हैं. अब उनकी सारी उम्मीद दिवाली और करवाचौथ जैसे त्योहारों पर टिकी है. करवा चौथ के त्यौहार पर उनके बनाए करवे और दिवाली पर मिट्टी के दीयों की अच्छी बिक्री हो जाती है. अगर हालात सामान्य रहे तो उम्मीद है कि त्योहारों के वक्त वो थोड़े पैसे कमा लेंगे. अगर हालात नहीं सुधरे तो उन्हें काफी ज्यादा नुकसान हो जाएगा.

'पंजाब से आती है मिट्टी'

ये लोग मिट्टी का सामान बनाने के लिए मिट्टी भी पंजाब से मंगवाते हैं. लॉकडाउन की वजह से ना तो इनके पास पंजाब से मिट्टी आ सकी और ना ही ये लोग कोई दूसरा काम कर सके. इसके अलावा कुम्हार रोहताश कुमार ने बताया कि लॉक डाउन की वजह से उनका काफी नुकसान हो गया है. वो 3 महीने तक ना तो कोई काम कर पाए और ना ही अपने सामान को भेज पाए. अब थोड़ा बहुत काम शुरू हुआ है, लेकिन अब मॉनसून आने वाला है और मॉनसून आने के बाद फिर से हमारा काम बंद हो जाएगा. इसलिए हमें आने वाले वक्त में भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें-जींद: लॉकडाउन से साड़ी मार्केट को 5 करोड़ का नुकसान, कोरोना के डर से नहीं आ रहे ग्राहक

लॉकडाउन के दौरान कुछ मदद सरकार और प्रशासन की तरफ से मिली. कुछ मदद इन्होंने अपने परिचितों से ली. दुकानदारों से सामान उधार लिया. अब ये लोग अपना कर्ज उतारने की कोशिश कर रहे हैं. कुल मिलाकर पूरा साल उन्हें घर चलाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा. लॉक डाउन में छूट मिलने के बाद कुम्हारों को कमाई की कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन मॉनसून के सीजन की वजह से उनकी ये उम्मीद फिर से टूट गई है. अब उनकी एकमात्र उम्मीद करवा चौथ और दिवाली जैसे त्योहारों पर टिकी है. अगर सबकुछ सामान्य नहीं हुआ तो इनको दो जून की रोटी की भी किल्लत हो जाएगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details