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धान की खेती से हरियाणा में बढ़ रही सूखे की समस्या, 80 प्रतिशत पानी से होती है सिंचाई

हरियाणा में गिरते भू जल स्तर से प्रदेश के कई जिलों में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है. एक्सपर्ट की मानना है कि कम पानी वाले इलाकों में धान की खेती से ये समस्या ज्यादा हुई है. पढ़ें पूरी खबर

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Published : May 30, 2020, 5:26 PM IST

Dark zone and groundwater level in haryana
Dark zone and groundwater level in haryana

चंडीगढ़: सूबे में तेजी से गिरता जलस्तर चिंता का विषय बनता जा रहा है. जलस्तर गिरने से प्रदेश के कई जिलों में सूखे की स्थिति भी पैदा हो गई है. एक गर्मी अपने प्रचंड रूप में है तो दूसरी तरफ गिरते जलस्तर से पीने के पानी की समस्या बढ़ रही है. कई जगह तो प्रशासन ने पानी के लिए टैंकर की व्यवस्था की है. लेकिन कई जगह लोग खुद के पैसे से पानी के टैंकरों की व्यवस्था कर रहे हैं.

इसपर कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि कम पानी वाले इलाकों में धान की खेती से ये समस्या ज्यादा हुई है. कुरुक्षेत्र, कैथल, भिवानी, फतेहबाद, पानीपत, सिरसा का रानिया और ऐलनाबाद ब्लॉक ऐसे इलाके हैं, जिनमें लगातार जमीनी पानी और नीचे जा रहा है. यहां 35 मीटर से भी नीचे ग्राउंड वाटर लेवल जा चुका है. कई जगह तो पानी 60 मीटर तक पानी नीचे जा चुका है.

धान की खेती से हरियाणा में बढ़ रही सूखे की समस्या, क्लिक कर देखें वीडियो

वहीं हरियाणा के चीफ हाइड्रोलॉजिस्ट ने बताया कि हरियाणा में कई इलाके ऐसे हैं जहां भूजल स्तर 70 मीटर से नीचे पहुंच चुका है. 60 प्रतिशत खेती जमीनी पानी से हो रही है, जबकि 40 प्रतिशत नहरी पानी से. कुल मिलाकर 80 प्रतिशत पानी का उपयोग खेती के लिए होता है. जहां धान की खेती ज्यादा होती है. वहां पानी की किल्लत ज्यादा बढ़ रही है.

तेजी से गिरता भूजल स्तर

दक्षिण हरियाणा में भी पानी की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है. दक्षिण हरियाणा में धान की खेती नहीं होती, क्योंकि वहां पहले से ही भूजलस्तर नीचे है. यहां कई ब्लॉक ऐसे हैं जहां 70 से अधिक मीटर तक पानी नीचे जा चुका है. ऐसे कई इलाके हैं जिनमे भिवानी का बाढड़ा, सतनाली, मधवास, डालनवास शामिल हैं. नारनौल और महेंद्रगढ़ के कई इलाकों में जमीनी पानी लगभग खत्म होने की तरफ है. इन इलाकों में पानी का प्रेशर बहुत कम है और जमीन में काफी कम उपलब्ध है.

बता दें कि देश के 7 राज्यों में शुरू हो रही अटल भूजल योजना की शुरुआत हरियाणा में भी हो रही है. जिसके तहत 723 करोड़ रुपये की लागत से 5 साल में वाटर सिक्योरिटी प्लान बनाए जा रहे हैं इस योजना के तहत 13 जिलों के 36 ब्लॉक और 1895 पंचायतों को लिया जा रहा है. इसमें बूंद-बूंद पानी बचाने की तरफ काम किया जाएगा. इस योजना में फिलहाल ऐसे इलाकों को लिया जा रहा है. जहां तेजी से पानी नीचे जा रहा है. इसमें कई योजनाएं होंगी. जिसमें छतों का पानी फ़िल्टर करके जमीन में भेजा जाएगा. जोहड़ों को मजबूत किया जाएगा. पानी बचाने के सभी तरीकों को इसमें इस्तेमाल किया जाएगा.

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बता दें कि सूखे की समस्या को देखते हुए सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत के तहत 19 ऐसे जोन चिन्हित किए हैं. जहां भूजल स्तर 40 मीटर से ज्यादा नीचे है. इस योजना के तहत सरकार ने किसानों से अपील की है कि वो 40 मीटर से ज्यादा जलस्तर वाले इलाके में धान की खेती ना करें. उसकी जगह दूसरी फसलें उगाएं. ऐसा करने वाले किसानों के सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि के तौर पर देगी.

एक्सपर्ट के मुताबिक 1 किलो धान उगाने के लिए 4000 लीटर तक पानी का इस्तेमाल होता है. हालांकि कुछ किसान सरकार की इस योजना का विरोध कर रहे हैं. लेकिन आंकडे और हालात देखकर लगता है कि आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है.

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