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ग्रामीण इलाकों में क्यों नहीं जाना चाहते डॉक्टर? चंडीगढ़ PGI के प्रोफेसर की रिसर्च में हुआ खुलासा

देश में आज भी ज्यादातर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर नहीं किया जा सका है. साथ ही डॉक्टर भी ऐसे इलाकों में नहीं (lack of doctors in rural areas) जाना चाहते. इसके पीछे क्या कारण है, इसको लेकर चंडीगढ़ पीजीआई (chandigarh PGI) के प्रोफेसर सोनू गोयल ने एक शोध किया.

rural area doctor shortage
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Published : Dec 6, 2021, 10:02 PM IST

चंडीगढ़:केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए कई योजनाएं चलाई गई, लेकिन अभी तक इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर नहीं किया जा सका है. लोगों को अपने इलाज के लिए आसपास के शहरों में में आना ही पड़ता है. क्योंकि उन्हें अपने इलाके में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाती. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि डॉक्टर उन इलाकों में नहीं (lack of doctors in rural areas) जाना चाहते. इसके पीछे क्या कारण है, इसको लेकर चंडीगढ़ पीजीआई (chandigarh PGI) के प्रोफेसर सोनू गोयल ने एक शोध किया.

इस शोध को करने में कई साल का वक्त लगा, लेकिन इस शोध के माध्यम से कई ऐसे कारण सामने आए जिस वजह से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में डॉक्टर नहीं जाना चाहते और वहां पर स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो पाती. इसके लिए प्रोफेसर सोनू गोयल को हाल ही में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया है. हमने डॉ. सोनू गोयल से इस बारे में बातचीत की. उन्होंने बताया कि हमने इस रिसर्च के लिए हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के डॉक्टरों से बात की. जिसमें उनसे पूछा गया कि ऐसे कौन से कारण हैं कि वे ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में लोगों के इलाज के लिए नहीं जाना चाहते. साथ ही ने उनसे ये भी पूछा कि ऐसे कौन से कारण हैं जो आपको उन इलाकों में जाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

ग्रामीण इलाकों में क्यों नहीं जाना चाहते डॉक्टर? चंडीगढ़ PGI के प्रोफेसर की रिसर्च में हुआ खुलासा

इन डॉक्टरों का कहना था कि जब हमें ऐसे इलाकों में भेजा जाता है तब उन इलाकों में हमें ऐसा माहौल मिलता है जिसमें न तो लोगों का इलाज सही तरीके से किया जा सकता है और न ही एक डॉक्टर चिकित्सा जगत में नई रिसर्च के द्वारा अपना योगदान दे पाता है. इन डॉक्टरों का कहना था कि इन इलाकों में डॉक्टर तो भेज दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें लोगों के इलाज के लिए न तो पर्याप्त दवाइयां मिलती हैं न ही उपकरण मिलते हैं और न ही इन इलाकों में रिसर्च करने का कोई अवसर प्राप्त होता है. इसलिए डॉक्टर ऐसे माहौल में नहीं जाना चाहते.

इसके अलावा डॉक्टर अपने परिवार के बारे में भी सोचते हैं क्योंकि शहरों से दूर जाने पर अगर वह अपने परिवार को साथ लेकर जाते हैं तो उनके साथ जाने वाले पति या पत्नी के लिए वहां पर काम करने का कोई विकल्प नहीं होता. ऐसे इलाकों में यातायात के भी पर्याप्त साधन नहीं होते. हर माता-पिता बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा चाहता हैं, लेकिन ऐसे इलाकों में बच्चों के लिए अच्छे स्कूल नहीं होते. इन कारणों से भी डॉक्टर बाहरी इलाकों में नहीं जाना चाहते.

अस्पतालों की स्थिति

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इन डॉक्टरों का यह भी कहना था कि अगर वे वहां पर लोगों का इलाज करने के लिए चले भी जाएं तब भी उन्हें सरकार से इतना मेहनताना नहीं मिलता जितना दूसरे बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों को दिया जाता है. तो फिर ऐसे में भी अपना परिवार और अपने करियर को छोड़कर इन इलाकों में क्यों जाएंगे.

अस्पतालों में उपकरणों की है भारी कमी

हालांकि कुछ ऐसे भी कारण थे जो उन्हें ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में जाने के लिए प्रेरित करते हैं. जिनके बारे में बताते हुए डॉक्टरों ने कहा कि जब ऐसे इलाकों में जाकर लोगों का इलाज करते हैं तो लोग बहुत खुश होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं, जो एक खुशी प्रदान करने वाली बात है. इसके अलावा इन इलाकों में कई बार ऐसी बीमारियां मिलती हैं जो शहरों में आमतौर पर देखने को नहीं मिलती. ये ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से डॉक्टर इन इलाकों में चले जाते हैं.

देश के कई राज्यों में स्वास्थ्य केंद्र इस स्थिति में हैं

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प्रोफेसर सोनू गोयल ने बताया कि भारत में डॉक्टरों की काफी कमी है और ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में तो डॉक्टरों की और ज्यादा कमी है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार 1000 लोगों के बीच है एक डॉक्टर होना चाहिए, लेकिन भारत में इस समय 1700 लोगों के पीछे एक डॉक्टर है. अगर हम ग्रामीण इलाकों की बात करें तो करीब 2700 लोगों के पीछे एक डॉक्टर है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में डॉक्टरों की कितनी कमी है और लोगों को पर्याप्त चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

अस्पताल के अंदर मरीजों को नहीं मिलते बैड

अगर हमें इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना है तो डॉक्टरों को भी सुविधाएं देनी होंगी. अगर कोई डॉक्टर पिछड़े इलाकों में जाता है तो सरकार को उनके बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठानी चाहिए. उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसा किया है कि जो डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में जा रहे हैं सरकार उनके बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिलवा रही है. इसके अलावा डॉक्टरों को सम्मानजनक सैलरी और इंसेंटिव भी मिलना चाहिए. अगर सरकार ये सोचती है कि कम सैलरी और बिना इंसेंटिव के डॉक्टर वहां काम कर सकते हैं तो यह सही नहीं है. अगर डॉक्टर लोगों की सेवा करने के लिए इस तरह के इलाकों में जा रहा है तो सरकार को भी उस डॉक्टर का ध्यान रखना चाहिए.

कई बार इस तरह भी करना पड़ता है इलाज

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इसके अलावा सरकार को डॉक्टरों के अनुसार उन इलाकों में बनाए गए स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में सुविधाएं भी मुहैया करवानी चाहिए. अगर एक सर्जन को उन इलाकों में भेजा जा रहा है तो उसे ऑपरेशन के सभी उपकरण और एक अच्छा ऑपरेशन थिएटर भी मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है. तभी वह लोगों का इलाज कर पाएगा. इसके अलावा ऐसे लोगों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. सरकार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के उत्थान के लिए काम करना चाहिए. इन स्वास्थ्य केंद्रों में सभी सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए ताकि डॉक्टर अच्छे तरीके से लोगों का इलाज कर सके और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके.

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