चंडीगढ़: ऑनलाइन डिस्काउंट के नाम पर शॉपिंग वेबसाइट्स लोगों को बेवकूफ बना रही है. ऐसा ही एक मामला एक साल पहले चंडीगढ़ के मनीमाजरा में सामने आया था. जहां एक महिला ने ऑनलाइन बहुचर्चित शॉपिंग वेबसाइट से लैपटॉप बैग ऑर्डर किया था. एक साल की जद्देजहद के बाद कंज्यूमर कोर्ट ने उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाया. हालांकि महिला इस फैसले से खुश नहीं है. उनका मानना है कि इस तरह की शॉपिंग वेबसाइट को सबक सिखाने वे इस मामले को नेशनल कंज्यूमर कोर्ट तक लेकर जाएंगी.
क्या है पूरा मामला?: जानकारी की मुताबिक मनीमाजरा के शिवालिक एन्क्लेव की रहने वाली दीपिका भारद्वाज ने 17 मई 2022 को एक ऑनलाइन पोर्टल से एक लैपटॉप बैग खरीदा था. ऐसे में वेबसाइट पर ब्रीफकेस की कीमत 38,000 रुपए दिखाई गई थी, जिस पर 20 प्रतिशत तक डिस्काउंट दिया गया था. ऐसे में छूट के बाद शिकायतकर्ता ने इसे 34,960 रुपए में खरीदा. शिकायतकर्ता को सब्जेक्ट ब्रीफकेस के पार्सल की डिलीवरी 23 मई को हुई और जब शिकायतकर्ता ने डिलीवरी बॉक्स खोला, तो ब्रीफकेस की मूल एमआरपी 33,900 रुपए छपी हुई. एमआरपी देखकर शिकायतकर्ता हैरान रह गई. ऐसे में उसे लगा कि ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट ने डिस्काउंट के नाम पर धोखा दिया है. इसके बाद महिला ने कंज्यूमर फोरम में इसकी शिकायत की.
MRP से अधिक राशि लेने के अधिकार नहीं: इस पूरे मामले को समझने के लिए ईटीवी भारत ने वकील पंकज चांदगोठिया से बातचीत की. एडवोकेट पंकज ने बताया कि एमआरपी से अधिक राशि प्राप्त करने किसी भी विक्रेता के अधिकार में नहीं आता है. शिकायतकर्ता की वकील रक्षा राघव ने अतिरिक्त कीमत की वापसी के अलावा दंडात्मक क्षतिपूर्ति का दावा किया.
जागरूक बनें सतर्क रहें: इस केस को देख रहे वकील पंकज चांदगोठिया ने बताया कि नियमों के मुताबिक एमआरपी रेट से अधिक कोई भी विक्रेता अपने सामान को नहीं बेच सकता. अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म इस तरह की जालसाजी आम लोगों से करते हैं. शिकायतकर्ता महिला पढ़ी लिखी थी ऐसे में वह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक थी. इस संबंध में कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करवा दी. 1 साल बाद कंज्यूमर कोर्ट ने महिला के हक में फैसला सुनाते हुए ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट को जुर्माना लगाया. उन्होंने बताया कि कानूनी प्रक्रिया लंबी होने के चलते इस तरह की फैसलों में समय लगता है. जहां दोनों तरफ की पार्टी की सुनवाई की जाती है.