चंडीगढ़: हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले कृषि अध्यादेशों के खिलाफ प्रदेशभर की मंडियों में किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठन लगातार कृषि अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं और सरकार के खिलाफ किसानों ने मोर्चा खोल दिया है.
किसानों के मुद्दे को लेकर सियासत गर्माती जा रही है और किसानों के साथ-साथ विपक्ष भी बीजेपी पर हावी होने लगा है. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि अध्यादेशों के विरोध में किसान संगठन पिछले कई दिनों से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है और सरकार से किसानों की मांग है कि इन अध्यादेशों को वापस लिया जाए.
प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों पर किसानों का प्रदर्शन
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी की अगूवाई में 13 सितंबर को जींद की जाट धर्मशाला में हुई राज्य स्तरीय बैठक में ये फैसला लिया गया था कि 15 सितंबर से सभी जिला मुख्यालयों पर धरने शुरू होंगे. ये धरने 19 सितंबर तक चलेंगे. भाक्यू प्रदेश अध्यक्ष चढूनी मनोहर सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो 20 सितंबर को प्रदेशभर में 3 घंटे के लिए सड़क जाम कर दिया जाएगा.
किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद गरमाई सियासत
बता दें कि कृषि अध्यादेश को रद्द कराने मांग को लेकर पिपली में किसानों ने रैली का आयोजन किया था और उस वक्त पुलिस द्वारा किसानों पर लाठीचार्ज किया गया जिसके बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने बीजेपी को किसान विरोधी करार दिया. पिपली में हुए लाठीचार्ज के बाद से ही प्रदेशभर में किसानों द्वारा जिला मुख्यालयों पर धरना देने का फैसला किया गया और सरकार से कृषि अध्यादेश में लाए गए बदलाव को रद्द करने की मांग की है.
ये भी पढ़ें: अंबानी और अदाणी के हाथ में सरकार का रिमोट: बलराज कुंडू
व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:
इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.