चंडीगढ़:केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट का हर वर्ग को बेसब्री से इंतजार है. ये बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है, जब देश कोरोना काल से निकलने की कोशिश कर रहा है और नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला है. ऐसे में हर किसी की नजर इस बात पर टिकी है कि किसानों को लेकर बजट में क्या घोषणा की जा सकती है? चलिए सबसे पहले जानते हैं कि किसानों को इस बार के बजट से क्या-क्या उम्मीदें हैं.
क्या है किसानों की उम्मीदें?
किसानों ने कहा कि उन्हें बजट से बहुत उम्मीदें हैं. किसान की जमीन घटती जा रही है, जबकि महंगाई और खाद, बीज, दवाई महंगी होती जा रही है. इससे किसान के सर पर केवल कर्ज है. सरकार को चाहिए कि किसानों के कर्ज माफ करे. बिजली के बिल भी माफ हो. साथ ही कृषि कानूनों को भी वापस लिया जाए.
बजट 2021 को लेकर ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने कृषि एक्सपर्ट बिमल अंजुम से भी खास बात की. इस दौरान हमनें जाना कि इस बार सरकार को किसानों को क्या-क्या राहत देनी चाहिए.
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प्रो. बिमल अंजुम मानते हैं कि कोरोना के इस काल में नए टैक्स जोड़ा जाना तय है, लेकिन इसपर निर्भर रहेगा कि टैक्स का बोझ किन वर्गों पर पड़ेगा. बिमल अंजुम के अनुसार स्मार्ट बजट बनाने की आवश्यकता रहती है. अच्छा बजट वही माना जाता है जिसमे पैसा निकले, लेकिन आम ग्राहक पर उसका प्रभाव नहीं पड़े.
कृषि क्षेत्र में क्या दी सकती है राहत?
प्रो. बिमल अंजुम के अनुसार कृषि क्षेत्र में कानूनों को लेकर बवाल देखने को मिल रहा है. किसानों का मुद्दा सेंसटिव मुद्दा है, इसलिए बजट काफी अहम रहने वाला है. बिमल अंजुम ने कहा कि जब 1995 में डब्लूटीओपी साइन किया तो उससे स्पष्ठ था किसानों के साथ ओपन मार्केट रखा जाएगा. कृषि कानूनों में भी ओपन मार्केट रखने की बात रखी गई है. किसानों की उन्नति के लिए ओपन मार्केट का होना जरूरी है.