चंडीगढ़: बीजेपी और जननायक जनता पार्टी के बीच वैसे तो पिछले काफी लंबे समय से गठबंधन को लेकर दोनों दलों के नेताओं की ओर से बयानबाजी हो रही है. लेकिन, हरियाणा बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब ने जैसे ही चौधरी बिरेंदर सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना से पार्टी का उम्मीदवार बताया तो इसके बाद दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर शुरू हो गया.
चुनाव से पहले बयानबाजी तेज: बिप्लब देब के इस बयान पर पर हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मैं कई बार कह चुका हूं कि मैं उचाना से चुनाव लड़ूंगा. किसी के पेट में अगर दर्द है तो उस दर्द की दवा मैं नहीं बन सकता, तो वहीं उनके इस बयान पर बीजेपी प्रभारी बिप्लब देब ने बड़ा हमला किया है. उन्होंने कहा कि ना तो मेरे पेट में दर्द है, ना ही मैं डॉक्टर हूं. मेरा काम अपनी पार्टी के संगठन को मजबूत करना है. यदि जेजेपी ने सरकार को समर्थन दिया है तो एहसान नहीं किया है, बदले में उन्हें मंत्री भी बनाया गया है.
हरियाणा की सियासत में गठबंधन पर चर्चा तेज: इन नेताओं की इस बयानबाजी के बाद फिर से हरियाणा की सियासत में इस गठबंधन को लेकर चर्चा शुरू हो गई. क्या बीजेपी और जेजेपी आने वाले चुनावों में एक साथ मैदान में उतरेगी या नहीं? साथ ही अगर बीजेपी जेजेपी का गठबंधन 2024 के चुनावों में नहीं होता है तो इसका दोनों दलों के ऊपर क्या असर होगा?
BJP-JJP के एक साथ चुनाव नहीं लड़ने पर कितना पड़ेगा असर?: इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि 2024 के चुनाव में अगर बीजेपी और जेजेपी गठबंधन के साथ मैदान में नहीं उतरती है तो इसका कोई बड़ा असर दोनों दलों के वोट बैंक पर नहीं पड़ेगा. इसके पीछे उनका तर्क भी है वह कहते हैं कि 2019 के चुनाव में दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे, और दोनों दलों का अपना-अपना वोट बैंक है ऐसे में अगर यह दोनों अलग-अलग या मिलकर भी चुनाव लड़ते हैं तो उसका ज्यादा असर दोनों पर ही नहीं पड़ने वाला है.
'अलग-अलग है BJP और JJP का वोट बैंक': वहीं, इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह भी कुछ ऐसी ही राय रखते हैं. वे कहते हैं कि बीजेपी का अपना वोट बैंक है और जननायक जनता पार्टी का अपना वोट बैंक है. वे कहते हैं कि 2019 में भी दोनों अलग-अलग चुनाव लड़े थे. अगर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी दोनों अलग अलग राह पकड़ते हैं तो इसका ज्यादा प्रभाव दोनों दलों पर देखने को नहीं मिलेगा. वे यह भी कहते हैं कि अगर दोनों मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो इसकी कोई गारंटी भी नहीं है कि दोनों के वोट भी एक साथ हो. इसके पीछे उनका तर्क यह है कि 2019 में जननायक जनता पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था.