चंडीगढ़:देश इस वक्त कोरोना वायरस से लड़ रहा है. इस वक्त अगर इस वायरस के मरीजों को जिस सबसे अहम चीज की जरूरत है वो है ‘वेंटिलेटर’, लेकिन देश में इसकी भारी कमी है. इस बीच पीजीआई के एनिस्थीसिया और इंटेंसिव केयर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजीव चौहान और उनकी टीम ने वेंटिलेटर के विकल्प के तौर पर ऑटोमेटिक एंबू बैग तैयार किया है. जो वेंटिलेटर की तरह ही काम करता है. इस मशीन के जरिए पेशेंट को सांस लेने में दिक्कत नहीं आती है.
इसे बनाने वाले हिमाचल के कोटगढ़ से ताल्लुक रखने वाले राजीव चौहान से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उनका कहना है की ये एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है. जो वेंटिलेटर का विकल्प है. उनका कहना है कि अभी जो व्यवस्था है, उसमें मरीज के परिजन एंबू बैग को बार-बार दबाकर इसका इस्तेमाल करते हैं. कितनी बार दबाना है? कैसे दबाना है ? इसकी मरीज के परिजनों को जानकारी नही होती, लेकिन इनका जो प्रोडक्ट है, इसमें जरूरत के हिसाब से प्रेशर को मेंटेन किया जा सकता है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान डॉ. राजीव ने बताया कि ये यंत्र बिजली से चलेगा. साथ ही बिजली नहीं होने की सूरत में इसके अंदर 6 घंटे का बैटरी बैकअप भी होगा. बैटरी बैकअप की वजह से इस यंत्र को एंबुलेंस में भी इस्तेमाल किया सकता है. अगर ये ऑटोमैटिक एंबू बैग एंबुलेंस में लगा दिया गया तो इससे एंबुलेंस के खर्चे को 5 से 6 लाख कम किया जा सकता है.
डॉक्टर राजीव के मुताबिक वेंटिलेटर के मुकाबले इसकी कीमत बहुत कम है. एक वेंटिलेटर की कीमत 10 से 12 लाख है और उसके संचालन के लिए एक ट्रेंड स्टाफ की आवश्यकता पड़ती है, जबकि ऑटोमैटिक एंबू बैग की कीमत करीब 15 से 17 हजार है. इनकी मशीन का वजन 1.5 किलोग्राम है और इसका साइज 30-40 सेंटीमीटर है.