चंडीगढ़:26 जून को पूरी दुनिया में 'अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस' के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद यह है कि लोगों को नशों और नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ जागरूक किया जा सके, क्योंकि आज पूरी दुनिया में लगभग हर देश नशे की समस्या से जूझ रहा है. हर देश में युवा नशे में पड कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं. यही नहीं एक देश की पूरी व्यवस्था पर इसका काफी बुरा असर पड़ता है.
'अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस' के मौके पर ईटीवी भारत की टीम ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर ज्ञानेंद्र कुमार सिंह से खास बातचीत की. ज्ञानेंद्र कुमार हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ राज्य में नशा संबंधित गतिविधियों पर नजर रखते हैं और उन पर रोकथाम के लिए डायरेक्शन देते हैं.
इस बातचीत में ज्ञानेंद कुमार ने बताया कि उनके क्षेत्र में आने वाले राज्यों में लगातार नशे की तस्करी बढ़ रही है. इस रीजन में हेरोइन, चरस, गांजा, अफीम जैसे नशे की अवैध तस्करी बढ़ रही है और दूसरी ओर खपत भी बढ़ती जा रही है. नशे की तस्करी सीमा पार से होती है जो देश में आने के बाद अलग जगहों पर भेजा जाता है.
देखिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर ज्ञानेंद्र कुमार सिंह से ईटीवी भारत से खास बातचीत हरियाणा में बढ़ रहे नशे के आदी लोग
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सरकार की ओर से चरस और गांजा की खपत को लेकर एक रिसर्च करवाया गया था. जिसके अनुसार देश में 1.2 लोग चरस और गांजा जैसे नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अगर हम इस रीजन की बात करें तो यह आंकड़ा देश के आंकड़े से ज्यादा है पंजाब में 1.3% हरियाणा में 2.9% और हिमाचल में 3.2% लोग नशे के आदी हैं. हरियाणा और हिमाचल में चरस और गांजा का सेवन करने वाले लोगों की संख्या पंजाब से ज्यादा है.
उन्होंने कहा की सरकार और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की ओर से कई तरह की जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि युवाओं को नशों से बचाया जा सके. इस बार यूनाइटेड नेशन ने 'इंटरनेशनल डे अगेंस्ट ड्रग एब्यूज' के लिए एक थीम रखी है जिसका नाम है 'बैटर नॉलेज बैटर केयर'. इसका मतलब है कि वही व्यक्ति नशों बच सकता है जिसे इसके बारे में सही जानकारी होगी. हम भी इसी तरह से काम कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस नशा छुड़वाने के लिए विभाग चलाता है कैंपेन
इस बार कोविड-19 की वजह से जागरूकता अभियानों में बदलाव किया गया है. इस बार हम पहले की तरह जागरूकता अभियान नहीं चला सकते, इसलिए हम इन अभियानों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लेकर आए हैं. इन ऑनलाइन अभियान में भी हर वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. इसके अलावा हमने सेलिब्रिटीज से भी नशों के खिलाफ वीडियो मैसेज रिकॉर्ड करवाएं हैं. जो हम लोगों तक पहुंचा रहे हैं.
अच्छी बात यह है कि इन जागरूकता अभियानों का लोगों पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है. इनकी वजह से हम बहुत से युवाओं को नशे की गिरफ्त में आने से बचा पाए हैं और जो लोग नशा कर रहे थे. अब वे लोग भी नशा छोड़ना चाहते हैं .इसके लिए भी खुद ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर में संपर्क कर रहे हैं और वहां आकर नशा छोड़ रहे हैं.
'युवा अनुभव करने की जिज्ञासा से नशेड़ी बन रहे हैं'
उन्होंने कहा कि ऐसी कई वजहें होती हैं जिन में आकर लोग नशे करना शुरू कर देते हैं. जैसे युवाओं की प्रवृत्ति काफी जिज्ञासु होती है. वह बहुत सी चीजों का इस्तेमाल करना चाहते हैं और इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं. कई मामले ऐसे भी आए हैं जब जो लोग पहले से नशा करते हैं वह अपने पास दूसरे लोगों को भी नशा करने के लिए मजबूर करते हैं. जिससे कई बार दूसरे लोग भी नशे के जाल में फंस जाते हैं. इसके अलावा कई पारिवारिक समस्याएं भी होती है और कई तरह के दबाव भी होते हैं, जिन से बचने के लिए कई लोग नशा करना शुरू कर देते.
ईटीवी भारत की अपील
नशा, एक ऐसी बीमारी है जो कि युवा पीढ़ी को लगातार अपनी चपेट में लेकर उसे कई तरह से बीमार कर रही है. शराब, सिगरेट, तम्बाकू एवं ड्रग्स जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नशे का शिकार हो रहा है. आज फुटपाथ और रेलवे प्लेटफार्म पर रहने वाले बच्चे भी नशे की चपेट में आ चुके हैं.
बच्चों और युवाओं को नशे से दूर करने के लिए पूरे समाज की जिम्मेदारी बनती है, ना सिर्फ बच्चों के माता-पिता बल्कि उनके टीचर, उनके संपर्क में आने वाले सभी लोग उन्हें इस बारे में जागरूक करें कि नशा करने से उनकी जिंदगी को कितना बड़ा नुकसान पहुंच सकता है. ये भी समझना जरूरी है कि नशा ना सिर्फ कुछ जिंदगियां बर्बाद कर रहा है, बल्कि देश के भविष्य को खोखला कर रहा है. इसलिए नशों से हमेशा दूर रहें.
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