चंडीगढ़: कैबिनेट मंत्री राव नरबीर के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई की. शिकायतकर्ता के मुताबिक कैबिनेट मंत्री राव नरबीर ने नामांकन के वक्त शपथ पत्र में गलत जानकारी दी है.
शैक्षणिक योग्यता पर सवाल
हाईकोर्ट के नोटिस पर राव नरबीर के वकील ने कोर्ट से समय देने की मांग की है. मंगलवार को मंत्री के वकील ने कहा कि ये सभी आरोप राजनीतिक दुर्भावना से लगाए गए हैं. उन्होंने इस बाबत अपना जवाब दायर करने के लिए समय देने की मांग की.
गलत जानकारी देने का आरोप
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर तक स्थगित करते हुए राव नरबीर को जवाब दायर करने को कहा है. दरअसल गुरुग्राम के आरटीआई कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका दायर की. जिसमें गुरुग्राम कोर्ट के उस आदेश को रद्द करने की मांग की, जिसमें राव के खिलाफ फर्जी शैक्षिक योग्यता दर्शाने संबंधी उनकी शिकायत को खारिज कर दिया था.
मंत्री ने वकील ने HC से मांगा वक्त
याचिका के अनुसार आरटीआई एक्टिविस्ट हरिंदर ढींगरा ने मंत्री राव नरबीर की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मांगी थी. दिसंबर 2018 में उन्हें राव नरबीर के शपथ पत्रों और शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मिली. याचिकाकर्ता का आरोप है कि राव नरबीर ने साल 2005, 2009 और 2014 में चुनाव लड़ा और अल-अलग शपथ पत्र में अलग-अलग जानकारी दी थी.
जानें क्या है मामला
आरोप है कि राव नरबीर ने साल 2005 में शपथ पत्र दाखिल किया कि उन्होंने 10वीं की पढ़ाई 1976 में माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से पास की है. जबकि 2009 के चुनाव में उन्होंने शपथ पत्र में लिखा कि 10वीं उन्होंने बिरला विद्या मंदिर नैनीताल से की है. वहीं साल 1986 में राव ने हिंदी साहित्य में स्नातक करने की बात कही है.
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15 अक्तूबर को अगली सुनवाई
याचिकाकर्ता के मुताबिक राव नरबीर ने चुनाव में झूठे शपथ पत्र दाखिल किए. जिसके आधार पर झूठी जानकारी देने के खिलाफ राव नरबीर पर कार्रवाई करने की मांग की है. इसी आधार पर पहले गुरुग्राम कोर्ट में भी ये याचिका दायर की थी, लेकिन गुरुग्राम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी.