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हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में 5 कुर्सियां रहेंगी खाली, जानिए क्यों

हरियाणा में तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है. इसलिए उपचुनाव की संभावनाएं ना के बराबर नजर आ रही है.

हरियाणा विधानसभा

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Published : Jun 11, 2019, 10:25 PM IST

Updated : Jun 11, 2019, 10:38 PM IST

चंडीगढ़: साल 2019 हरियाणा की राजनीति के लिए एक नया अध्याय लेकर आया है. बनते-बिगड़ते समीकरणों ने सूबे की सियासत में नया इतिहास रचा है. चाहें बात जींद उपचुनाव की हो या फिर लोकसभा चुनाव की. अब हरियाणा विधानसभा चुनाव को भी दो महीने का ही वक्त बचा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले पांच सीटों पर उपचुनाव होंगे?

मानसून सत्र में 5 कुर्सियां रहेंगी खाली
चुनाव से पहले हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र भी होगा. इस सत्र में पांच विधायकों की कुर्सी खाली रहेंगी. दरअसल इनेलो के चार विधायक इस्तीफा दे चुके हैं, एक का निधन हो चुका है. वहीं अंबाला की नारायणगढ़ सीट से बीजेपी विधायक रहे नायब सैनी अब कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए हैं. इस तरह से पांच सीटें खाली हो चुकी है.

इन खाली सीटों पर उपचुनाव की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं. क्योंकि सीट खाली होने के बाद उपचुनाव के लिए 6 महीने का वक्त होता है. हरियाणा में तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होना है. इसलिए उपचुनाव की संभावनाएं ना के बराबर नजर आ रही है. जबकि सरकार भी इन सीटों पर उपचुनाव करवाने की इच्छुक नहीं दिख रही. बता दें कि हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं.

किन विधायकों ने छोड़ा पद?

  • फतेहाबाद से इनेलो विधायक बीजेपी में शामिल हुए. जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया.
  • हिसार की नलवा विधानसभा से इनेलो विधायक रणबीर सिंह गंगवा भी बीजेपी में शामिल हो गए. जिसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया.
  • पलवल के हथीन से इनेलो विधायक केहर सिंह रावत भी बीजेपी में शामिल हुए. जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
  • अंबाला की नारायणगढ़ सीट से बीजेपी के विधायक नायब सैनी कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर सांसद चुने गए हैं. इसलिए उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. अब नारायणगढ़ विधानसभा सीट भी खाली हो गई है.
  • जबकि पिहोवा से इनेलो विधायक जसविंद्र संधू का इस साल 19 जनवरी को निधन हो गया था. तब से पिहोवा विधानसभा सीट भी खाली है.

तीन महीने बाद होना है विधानसभा चुनाव

अगर इनेलो विधायक इस्तीफा नहीं देते तो विधायक रहते हुए उनपर दलबदल एक्ट के तहत विधानसभा सदस्यता की कार्रवाई की तलवार लटकी रहती. इससे बचने के लिए उन्होंने अपना पद छोड़ना मुनासिब समझा. इन खाली सीटों पर उपचुनाव की अटकलें तो चल रही थीं, चूंकि अब हरियाणा के विधानसभा चुनाव को होने में तीन महीने ही बचे हैं, इसलिए सरकार भी अब उपचुनाव नहीं चाहती है.

सूबे में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और बीजेपी अपने विजयी रथ को भी आगे बढ़ाना चाह रही है. ऐसी स्थिति प्रदेश सरकार भी नहीं चाहती कि अब किसी प्रकार से उपचुनाव का माहौल बने. पिछले साल मनोहर लाल सरकार ने अपनी सरकार के चौथे बरस में पांच नगर निगमों में मेयर के सीधे चुनाव करवाए और शानदार जीत हासिल की.

ये भी पढ़ें- EXCLUSIVE:जेजेपी में शामिल इनेलो के विधायकों पर होगी कार्रवाई ?

उसके बाद इसी साल जनवरी में जींद सीट पर इनेलो विधायक हरिचंद मिड्डा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भी भाजपा जीती. इसी साल मई में भी दस लोकसभा सीटों पर भी अपना परचम लहराते हुए भाजपा ने क्लीन स्वीप किया. इन सभी जीत से मनोहर सरकार पूरी तरह उत्साहित हैं और अब निशाना ‘मिशन 70 प्लस’ पर है.

दूसरी ओर, फिरोजपुर झिरका सीट से इनेलो के विधायक नसीम अहमद भी अब अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेसी हो चुके हैं. नसीम ने दल तो बदल लिया है, लेकिन अभी उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को नहीं सौंपा है. लिहाजा नसीम अब भी विधायक हैं.

Last Updated : Jun 11, 2019, 10:38 PM IST

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