चंडीगढ़ःप्रदेश में जल संकट लगातार गहराता जा रहा है. अब तो इसके लिए सरकार भी गंभीर नजर आ रही है. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि हम जल संकट से जूझ रहे हैं पानी लगातार नीचे जा रहा है. उन्होंने किसानों से अपील की थी कि इस बार धान कम लगाएं. लेकिन क्या ये सिर्फ सरकार या संबंधित विभाग की जिम्मेदारी है. एक आम आदमी के तौर पर हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां हैं. हमें भी पानी की समस्या से निपटने के लिए कुछ तो करना चाहिए. क्योंकि आई.डब्ल्यू.एम. की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक बहुत सी भारतीय नदियों में पानी का संकट होगा.
हम पानी बचाने के लिए क्या कर सकते हैं ?
⦁ घर की छत पर बरसाती पानी इकट्ठा किया जा सकता है इसे जाली या फिल्टर कपड़े से ढककर जल संरक्षण हो सकता है.
⦁ तालाबों पर अतिक्रमण से बचें ताकि इनका अस्तित्व बचा रहे.
⦁ तालाबों, नदियों और समुद्र में कचरा, रासायनिक पदार्थ न फेंकें.
⦁ ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं.
⦁ घर में ज्याादा पानी न बहाएं.
⦁ कार धोने, फर्श धोने पर ज्यादा पानी खर्च न करें.
⦁ विशेषकर ग्रामीण इलाकों में पानी चलाकर न छोड़ें.
⦁ जितनी जरूरत हो उतना ही पानी इस्तेमाल करें.
इसके अलावा भी कई उपाय हैं जिनके सहारे पानी बचाया जा सकत है लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं होता है. तो नीचे हम कुछ उपाय बता रहे हैं जिनके सहारे जलस संरक्षण किया जा सकता है.
ऐसे भी किया जा सकता है जल संरक्षण
⦁ रेनवाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
⦁ तालाबों, गड्ढों, पोखरों की नियमित सफाई की जानी चाहिए.
⦁ प्रयोग किए गए जल को शोधन के उपरांत ही नदी में छोड़ा जाना चाहिए.
⦁ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विशेष जल निस्तारण व्यवस्था करके अतिरिक्त जल को अन्य स्थान पर संरक्षित करने का प्रयोग किया जा सकता है.
⦁ पोखरों में एकत्रित जल से सिंचाई के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.
⦁ शहरों में हर घर के लिये रिचार्ज कूपों का निर्माण जरूर किया जाना चाहिए.
⦁ तालाबों, पोखरों, के किनारे वृक्ष लगाने की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए.
⦁ बंजर भूमि एवं पहाड़ी ढालों पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए.
⦁ ऊँचे स्थानों, बाँधों इत्यादि के पास गहरे गड्ढे खोदे जाने चाहिए जिससे उनमें वर्षा जल एकत्रित हो जाए.
⦁ कृषि भूमि में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिये हरित खाद और उचित फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए.
⦁ पेयजल आपूर्ति करने वाली पाइप लाइनों की निरंतर देखभाल होनी चाहिए.
पानी बचाने के लिए सरकार को भी कुछ कड़े कदम उठाने होंगे. वरना हालात बहुत गंभीर हो जाएंगे और तब उससे पार पाना बेहद मुश्किल होगा.