चंडीगढ़: पंचकूला के पिंजौर में सेब मंडी बनाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट कहा कि मंडी किसानों के लिए है और इसे स्थापित करना सरकार का नीतिगत निर्णय है. इस प्रकार के निर्णय में न्याय पालिका दखल नहीं देना चाहती है. हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी जिसे मंजूर करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.
सेब मंडी बनने का रास्ता साफ, मंडी बनाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
पंचकूला के पिंजौर में सेब मंडी बनाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट कहा कि मंडी किसानों के लिए है और इसे स्थापित करना सरकार का नीतिगत निर्णय है.
याचिका दाखिल करते हुए विजय बंसल ने हाई कोर्ट को बताया कि एचएमटी स्थापित करने के लिए 4062 एकड़ भूमि दी गई थी. इसके बाद 446 एकड़ भूमि ऐसी रही जिसे इस्तेमाल ही नहीं किया गया. इसके चलते हरियाणा सरकार ने ये भूमि रिज्यूम कर ली थी. इसी बीच इस भूमि को 241 करोड़ में एचएसआईआईडीसी को सौंप दिया गया. अब सरकार के निर्णय के अधार पर सेब मंडी स्थापित करने के लिए एचएसआईआईडीसी ने 78.36 एकड़ भूमि हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केट बोर्ड को देने का निर्णय ले लिया गया. याची ने कहा कि हरियाणा में फल और सब्जियों के लिए दो प्रतिशत मार्केट फीस का प्रावधान है जबकि सेब पर कोई मार्केट फीस नहीं है. ऐसे में इस मंडी को स्थापित करने से राज्य को कोई लाभ नहीं होगा.
इसके साथ ही ये भी बताया कि पंचकूला सेक्टर-20 में पहले से एक सेब मंडी मौजूद है जिसपर शेड डालने के लिए हाल ही में 1.6 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. ऐसे में इस मंडी को स्थापित करना सही नहीं है. इसके स्थान पर यहां उद्योग लगाना चाहिए ताकि लोगों को रोजगार मिले. साथ ही ये भी कहा कि ये भूमि उद्योग लगाने के लिए दी गई थी और ऐसे में इसके अतिरिक्त कोई इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. इसपर हाई कोर्ट ने कहा कि ये राज्य को तय करना है कि उन्हें भूमि का क्या करना है. ये किसी निजी स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि किसानों के लिए ही मंडी स्थापित की जा रही है. इसपर याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली जिसके बाद हाई केर्ट ने इसे खारिज कर दिया.