चंडीगढ़: फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की ओर से पहली बार जारी किए गए फूट सेफ्टी इंडेक्स में हरियाणा को देश के सभी राज्य और यूटी में 16वें नंबर पर रखा है, जबकि पंजाब 68 अंकों के साथ यलो कैटेगरी में है और 11 वें नंबर पर है. चंडीगढ़ देश में चौथे नंबर पर ग्रीन कैटिगरी में है.
हरियाणा को फूट सेफ्टी इंडेक्स में 100 में से 53 अंक मिले हैं. यह इंडेक्स 2018-19 की स्थिति के अनुसार जारी किया गया है, जिसमें 5 बिंदुओं को शामिल किया है. इनमें यहां खाद्य सामग्री की क्वालिटी के लिए सरकार स्तर पर किए जा रहे प्रयासों को शामिल किया है, जिसमें हरियाणा सरकार फेल साबित हुई है.
हालांकि अधिकारियों का दावा है कि प्रयास खूब किए हैं और अगली रिपोर्ट में प्रदेश की स्थित बेहतर होगी. रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में जहां निर्धारित लक्ष्य अनुसार खाद्य सामग्री के सैंपल नहीं लिए जा रहे. वहीं, यहां स्टाफ की भी काफी कमी है.
सैंपल लेने वाले अफसरों के पद ही काफी कम है. गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश में 75 फूड सेफ्टी ऑफिसर होने चाहिए, लेकिन रेगुलर एफएसओ के पद 45 ही हैं, जबकि कार्यरत 7 ही हैं. यानी पार्ट टाइम कर्मचारियों को प्रदेश के लोगों की खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी दी हुई है.
किस स्तर पर क्या कमी है?
ह्यूमन रिसोर्स एंड इंस्टीट्यूशनल डाटा- अंक मिले: 20 में से 12
प्रदेश में खाद्य सामग्री के सैंपल लेने वाले 75 एफएसओ होने चाहिए, लेकिन रेगुलर एफएसओ के पद 45 हैं. डेजिग्नेटेड ऑफिसर के पद 25 होने चाहिए, लेकिन प्रदेश में 22 रेगुलर हैं और 3 पार्टटाइम काम कर रहे हैं. एफएसएसए लागू होने के बाद से प्रदेश में 2207 केस फाइल हुए, लेकिन अभी भी 708 पेंडिंग हैं.
कांप्लेंस- अंक मिले: 30 में से 14
प्रदेश में मार्च, 2018 तक 9110 लाइसेंस जारी किए, जो फरवरी 2019 में 11,684 हो गए. कुल 18,229 आवेदन आए. प्रदेश में कुल 41 हजार रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जबकि सालभर पहले 23,225 थे. लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन में ढिलाई बरती गई. लोगों की तरफ 377 अपील की गई, जिनमें 339 पेंडिंग है. शिकायत करने के लिए कोई पोर्टल नहीं. खाद्य सामग्री के 3500 सैंपल लेने का लक्ष्य था, लेकिन 2724 ही लिए गए.
फूड टेस्टिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विलांस- अंक मिले: 20 में से 12
प्रदेश में फूड सैंपल के लिए दो लैब हैं, लेकिन इनमें एनएबीएल से मान्यता प्राप्त एक भी नहीं है. ट्रेनिंग एंड केपिसिटी बिल्डिंग: डीओएस और एफएसओ को पर्याप्त ट्रेनिंग नहीं मिली है.
कंज्यूमर एंपावरमेंट - अंक मिले 20 में से 10
प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर की सफाई को लेकर काम नहीं किया गया है. इसके अलावा कई जगह होने वाले भोज में भी क्वालिटी पर काम नहीं हो रहा. प्रदेश में खाने वाले स्थानों को अभी तक रेटिंग देने का काम शुरू नहीं किया.