चंडीगढ़: ट्रायल कोर्ट द्वारा पति-पत्नी के आपसी विवाद पर तलाक के सुनाये गए फैसले पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद पति द्वारा दूसरी शादी किये जाने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए पति को हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना का दोषी करार देते हुए दो महीने कैद की सजा सुना दी है.
हाईकोर्ट की रोक के बाद भी की दूसरी शादी, हुई सजा - चंडीगढ़
दूसरा विवाह कर पति ने न सिर्फ हिन्दू मैरिज एक्ट के प्रावधान का उल्लंघन किया है बल्कि हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवमानना की है लिहाजा हाईकोर्ट ने पति को इसका दोषी करार दिया.
क्या है मामाला ?
जस्टिस निर्मलजीत कौर ने ये आदेश पत्नी द्वारा अपने पति के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना को लेकर दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिए हैं. गौरतलब है कि फतेहाबाद की ट्रायल कोर्ट ने 14 जनवरी 2016 को फैसला सुनाते हुए दोनों पति-पत्नी को तलाक के आदेश जारी कर दिए थे. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि उसे सिर्फ ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के आदेशों के बारे में पता है. हाईकोर्ट ने जो तलाक के आदेशों पर रोक लगाई है उसके बारे में उसे जानकारी ही नहीं थी.
हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका पर अपने फैसले में कहा है कि ट्रायल कोर्ट के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने की जो समय सीमा तय की गई है. पत्नी ने उस समय सीमा के भीतर ही इन आदेशों को चुनौती दे दी थी. ये पति की जिम्मेदारी थी कि वह ये पता करता कि कहीं ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती तो नहीं दी गई है. इस तरह दूसरा विवाह कर पति ने न सिर्फ हिन्दू मैरिज एक्ट के प्रावधान का उल्लंघन किया है बल्कि हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवमानना की है लिहाजा हाईकोर्ट ने पति को इसका दोषी करार देते हुए उसे दो महीने की कैद की सजा सुना दी है और उसे 15 दिनों के भीतर सीजेएम सिरसा के समक्ष आत्मसमर्पण करने के आदेश दे दिए हैं.