भिवानी: हरियाणा में एमबीबीएस के लिए फीस बढ़ोतरी और बॉन्ड पॉलिसी (Bond Policy in Haryana) को लेकर विरोध रोहतक से लेकर दूसरे जिलों में भी होने लगा है. भिवानी में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने विरोध करते हुए इसे बॉन्ड पॉलिसी को गलत बताया और सरकार से इसे वापस लेने की मांग की. सामाजिक संगठनों ने कहा कि आजाद देश में नागरिकों को किसी भी नियम से बांधा नहीं जा सकता.
हरियाणा सरकार ने एमबीबीएस करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए हर साल 10 लाख रुपये का बॉन्ड भरने का नियम बनाया है. साथ ही 7 साल हरियाणा सरकार के लिए काम करना भी जरूरी है. इसका विरोध सबसे पहले रोहतक पीजीआई मेडिकल कॉलेज से शुरू हुआ. विरोध करने वाले छात्र-छात्राओं पर पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा. जिसके बाद सरकार के इस फैसले का दूसरे जिलों में भी विरोध शुरू हो गया है.
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भिवानी में ज्ञान-विज्ञान समिति, रिटायर्ड कर्मचारी संघ और किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन कर सरकार के इस फैसले का विरोध किया और रोहतक में एमबीबीएस करने वाले छात्र-छात्राओं पर हुये बल प्रयोग की निंदा की. विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे रिटायर्ड अध्यापक वजीर सिंह व किसान नेता ओमप्रकाश ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट कहता है कि शिक्षा पैसे में बेचने या लाभ कमाने की चीज नहीं. हरियाणा सरकार के इस फैसले से एमबीबीएस की हर सीट पैसे वालों के लिए रिजर्व हो जायेगी और गरीब, किसान व मजदूर बच्चे इससे वंचित हो जाएंगे.
दरअसल एमबीबीएस में बॉन्ड पॉलिसी के तहत हरियाणा सरकार एडमिशन के समय छात्रों से 7 साल के लिए 40 लाख रुपए का बॉन्ड भरवा रही है. इस पॉलिसी के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले हर छात्र को कम से कम 7 साल सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होंगी. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो बॉन्ड के रूप में दिये गये 40 लाख रुपये सरकार ले लेगी. एमबीबीएस छात्र इसी का विरोध कर रहे हैं. 40 लाख के हिसाब से छात्रों को हर साल 10 लाख का बॉन्ड भरना होगा.
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