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Haryana Education News: अधर में पड़ा चार लाख बच्चों का भविष्य, 20 सालों से स्कूलों को नहीं मिली मान्यता - Haryana Education Report

प्रदेश के चार लाख बच्चों का भविष्य अस्थायी मान्यता प्राप्त स्कूलों के कारण अंधकार (Unrecognized School in Haryana) में है. स्थायी मान्यता के बगैर बोर्ड परीक्षाओं के लिए फॉर्म नहीं भरे जा सकेंगे. पिछले 20 सालों से अस्थायी स्कूलों को स्थायी करने की मांग की जा रही है.

Haryana Education Report
हरियाणा में बगैर मान्यता प्राप्त स्कूल

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Published : Jan 3, 2023, 6:09 PM IST

प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन भिवानी की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

भिवानी: प्रदेश के अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग चार लाख बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन भिवानी (Private School Welfare Association Bhiwani) ने पिछले 20 सालों में इन अस्थायी स्कूलों को जमीन की कंडीशन हटाकर स्थायी करने की मांग की है, ताकि इन चार लाख बच्चों को बोर्ड के पेपर दिलवाए जा सकें. इसको लेकर प्राईवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया. एसोसिएशन की राज्य स्तरीय मीटिंग के बाद भिवानी में कॉन्फ्रेंस की गई.


प्राइवेट स्कूल वेलफेसर एसोसिएशन हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष राम अवतार शर्मा ने कहा कि प्रदेश में लगभग ढाई हजार के लगभग अस्थायी मान्यता प्राप्त स्कूलों में 3 से 4 लाख बच्चे पढ़ रहे (Unrecognized School in Haryana) हैं. यदि इन स्कूलों को 15 जनवरी तक स्थायी मान्यता नहीं दी जाती है तो प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेगा, जिसके तहत शिक्षा बोर्ड मुख्यालय का घेराव व तालाबंदी की जा सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के साथ मीटिंग में उन्हें यह आश्वासन मिला है कि उनकी समस्या का हल जल्द हो जाएगा.

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उन्होंने अपनी मांगों के बारे जिक्र करते हुए कहा कि उनकी एसोसिएशन चाहती है कि पिछले 20 वर्षों से अस्थायी मान्यता प्राप्त स्कूलों की हर वर्ष एक वर्ष के लिए मान्यता बढ़ा दी जाती है. इनको स्थायी मान्यता दी जाएगी. भाजपा ने भी अपने घोषणा पत्र में अस्थायी स्कूलों को नियमों में ढील देकर स्थायी करने की बात कही थी. वहीं उन्होंने कहा कि स्कूल बसों पर 20 रुपये प्रति सीट पैसेंजर टैक्स लगाया जाता है, जबकि छात्र पैसेंजर नहीं होते, ऐसे में उनकी मांगों को जल्द पूरा किया जाए, ताकि वे बच्चों की पढ़ाई को निर्बाध रूप से जारी रख (Haryana Education Report) सकें.

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