हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

होली के दिन इस गांव में अनोखी परंपरा निभाई जाती है, आखिर क्या है इस परंपरा के पीछे की वजह? - गागड़वास

लोहारु के इस गांव में होली के दिन अनोखी परंपरा निभाई जाती है. इस परंपरा के पीछे एक कहानी है. इस परंपरा का पूरा गांव अनुसरण करता है.

holi festival pooja

By

Published : Mar 21, 2019, 6:04 PM IST

Updated : Mar 21, 2019, 11:41 PM IST

भिवानी: लोहारु के गागड़वास गांव में होली के त्योहार पर अनोखी परंपरा निभाई जा रही है. इस दिन कुएं के नजदीक इक्ट्ठा होकर सुराख वाली मटकियों में दूध, पानी, मदिरा और तेल भरते हैं और थैले में अनाज की बाकली भरते हैं और गांव के पांच जवान होलिका दहन की परिक्रमा करते हैं. इस प्रक्रिया से पहले कोई भी गांव में प्रवेश नहीं कर सकता.

बता दें, गांव गागड़वास में श्री श्री 108 श्री बाबा बुधनाथमहाराज के कथन के मुताबिक सदियों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. बताया जाता है गागड़वास गांव एक ऊंचे टीले पर बसा था, लेकिन आए दिन होने वाली घटनाओं के कारण उजड़ता रहता था. बाद में बाबा बुधनाथने गांववासियों को टीले के नीचे बसने और गांव में कारण की परंपरा शुरू करने के आदेश दिए.

बाबा बुधनाथके आदेश से गांव टीले के नीचे बसा और कार परंपरा की शुरूआत की गई. कार परंपरा के निर्वहन से गांव में शांति और अमन है और सदियों से गांव के लोग इसी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं.

होली पर अनोखी परंपरा

कार के दौरान गांव के लोग विशेष तौर से गांव के बाहर और अंदर जाने वाले रास्तों पर पहरेदारी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि विधिपूर्वक कार पूरी होने से गांव में कोई महामारी नहीं फैलती, अकाल मौत नहीं होती और आग नहीं लगती. गांव के लोग एक सिद्ध महात्मा द्वारा बताई गई इस कार को हर साल बड़ी श्रद्धा के साथ लगाते हैं.

शैलेंद्र गागड़वास ने पत्रकारों को बताया कि साधु महात्माओं के आदेश से सदियों से गांव में कार की परंपरा निभाई जा रही है. वह खुद पिछले 15 सालों से कार लगा रहे हैं. कार लगाते समय परिक्रमा के दौरान रास्तों पर गांव के लोग पहरा देते हैं ताकि कोई पुरुष या जानवर प्रवेश ना करें. क्योंकि परिक्रमा का टूटना गांव के लिए अशुभ शगुन माना जाता है.

Last Updated : Mar 21, 2019, 11:41 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details