भिवानी: केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय और हरियाणा सरकार के कृषि विभाग द्वारा पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बायोगैस योजना प्रदेश में चलाई जा रही है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य दो या दो से अधिक पशु रखने वाले पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना है. क्योंकि बायो गैस के वेस्ट से तैयार होने वाली खाद पूर्ण रूप से पेस्ट्रीसाइड रहित और खरपतवार व बीज रहित होती है, जिससे फसलों का उत्पादन बढ़ता है. इस योजना के तहत प्रत्येक बायोगैस प्लांट संयंत्र लगाने के लिए ग्रामीण पशुपालक को 40 फीसदी सब्सिडी यानी लगभग 12 हजार रुपये की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है. (biogas plant in bhiwani) (National Biogas Scheme in Haryana)
बता दें कि एक साधारण साइज के बायोगैस संयंत्र के निर्माण पर करीबन 30 हजार रुपये खर्चा आता है. इस योजना के तहत 25 क्यूबिक मीटर से 80 क्यूबिक मीटर तक के बायोगैस प्लांट पशुपालकों के पास पशुओं की उपलब्धता के अनुसार लगाए जाते हैं. भिवानी जिले के तालु गांव के पशुपालक अशोक पिछले 11 सालों से गैस और खाद के मामले में आत्मनिर्भर हैं. उन्होंने जब से बायोगैस संयंत्र लगाया है, तब से ना तो बाजार से घरेलू गैस खरीदी है और ना ही खेती के लिए उपयोग होने वाली कृत्रिम खाद खरीदी है. वे बायोगैस से उत्पन्न गैस से ही खाना पकाते हैं और पशुओं के लिए चारा बनाने का कार्य करते हैं. (Organic Farming in Haryana) (Farmers in Haryana)
वहीं, बायोगैस सेंटर के माध्यम से कच्चे गोबर को प्रॉसेस कर उससे तैयार खाद का प्रयोग अपनी गेहूं, ईंख व पशुओं के चारे की खेती के लिए प्रयोग करते हैं. बायोगैस के कारण उनका ना केवल फसलों का उत्पादन बढ़ा है, बगैर खाद के पशु चारे से उनके पशु का दुग्ध उत्पादन भी बढ़ा है. उनकी देखादेखी उनके क्षेत्र के बहुत से पशुपालक बायोगैस प्लांट संयंत्र को अपनाने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. (Organic Farming in Bhiwani)