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अंबाला लोकसभा सीट का पूरा गणित, जानें कौन देगा किसे कड़ी टक्कर!

अंबाला लोकसभा में राजनीति की बात करें तो अंबाला के दिग्गज केंद्रीय मंत्री ही नहीं बल्कि कई राज्यों के राज्यपाल तक रह चुके हैं. यहां से ही राजनीति की पारी शुरू करने वाली सुषमा स्वराज अब विदेश मंत्री है जबकि स्व. सूरजभान उत्तरप्रदेश, हिमाचल के राज्यपाल रहे हैं. मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रतन लाल कटारिया को कुमारी सैलजा ने भी दो बार लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त दी है.

अंबाला लोकसभा सीट का पूरा गणित, जानें कौन देगा किसे कड़ी टक्कर!

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Published : Apr 27, 2019, 5:37 PM IST

Updated : Apr 27, 2019, 7:57 PM IST

अंबाला: अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित अंबाला लोकसभा सीट का मुकाबला इस बार के चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसका जायजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश की मुख्य राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवारों को विजय दिलवाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं. प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन के लिए मैदान में है. दोनों ही पार्टियों के कद्दावर नेताओं ने अपने उम्मीदवारों समेत अंबाला में रोड शो निकाल कर शक्ति प्रदर्शन भी किया.

कुमारी सैलजा पर कांग्रेस ने जताया भरोसा
इसमें कोई दो राय नहीं कि जब जब कुमारी सैलजा अंबाला लोकसभा सीट से लड़ी है तो उन्हें हमेशा जीत ही हाथ लगी है. उन्होंने मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रतन लाल कटारिया को दो बार लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त दी है. इस बार भी वह अपनी जीत का परचम लहराने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही.

भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रतन लाल कटारिया
भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से रतन लाल कटारिया पर भरोसा जताया है और उन्हें अंबाला लोकसभा सीट से टिकट दी है. बता दें की रतन लाल कटारिया दो बार अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं सबसे पहले 1999 में अंबाला लोकसभा सीट से विजय रहे और उसके बाद 2014 में उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार राजकुमार बाल्मीकि को करारी शिकस्त दी थी.

हर बार सैलजा से हारें है रतन लाल कटारिया
खास बात यह है कि जब-जब रतन लाल कटारिया का सामना कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा से हुआ है उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा है. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में जब जब यह दोनों कद्दावर नेता रतन लाल कटारिया और कुमारी सैलजा आमने सामने आए हैं तो हमेशा कुमारी सैलजा रतन लाल कटारिया पर भारी पड़ी है. हालांकि रतन लाल कटारिया ने कुमारी सैलजा द्वारा मिली शिकायतों को अपने मन पर बोझ बताते हुए कहा कि आने वाले चुनावों में वह कुमारी सैलजा को करीबन 500000 वोटों से हराकर अपने मन का बोझ कम करेंगे.

अंबाला से सैलजा ने रतन लाल कटारिया को दो बार मात दी है. (ग्राफिक्स)

AAP+JJP के संयुक्त उम्मीदवार पृथ्वीराज सिंह
कई मायनों में इस बार की लोकसभा सीट कि तीसरे उम्मीदवार आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार पृथ्वीराज सिंह भी इन लोकसभा चुनावों में भारी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहेंगे. देखा जाए तो भारी मात्रा में किसान जननायक जनता पार्टी के चुनावी मेनिफेस्टो से बेहद खुश हैं जिसका फायदा पृथ्वीराज सिंह को बखूबी मिल सकता है वहीं पढ़ा लिखा युवा भी पूर्व डीजीपी पृथ्वीराज सिंह की तरफ खासी उम्मीदें लगाए बैठा है.

यह समीकरण भी मायने रखते हैं
मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो इस बार पिछली बार की तरह मोदी लहर दिखाई नहीं दे रही. हो सकता है कि इसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ सकता है. तकरीबन 1 साल से अंबाला में ही नहीं बल्कि समस्त हरियाणा में सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी वर्ग सरकार से खासा नाराज दिखा है.

वहीं केंद्रीय योजनाओं का लाभ ना मिलने के चलते किसान भी बीजेपी सरकार से खासे नाराज दिख रहे हैं. किसानों का साफ तौर पर कहना है की सरकार ने भावांतर भरपाई योजना फसल बीमा योजना आदि बहुत सी योजनाएं किसानों की भलाई के लिए चलाई हैं, लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ और ही है किसानों को अभी तक उन की फसल बर्बादी का मुआवजा तक नहीं मिला जिसके चलते किसान इस बार बीजेपी सरकार से खासा खफा है. अंबाला लोकसभा सीट को आरक्षित सीट ना रखकर ओपन सीट प्रणाली मेलाने को लेकर अंबाला वासियों ने खासी मशक्कत करें लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाई.

ये है अंबाला का जातिय समीकरण
एससी 3,70,000
अरोरा/खत्री 1,70,000
ब्राह्मण 1,54,000
महाजन 1,005,000
जाट 1,14,000
जट्ट सिख 1,00,000
गुज्जर 74,000
राजपूत 72,000

अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है अंबाला सीट
अंबाला हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है इस सीट की खास बात यह भी है कि यह हरियाणा की एकमात्र ऐसी सीट है जो शुरू से लेकर अब तक अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है. अंबाला लोकसभा सीट में कुल 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें कालका पंचकूला नारायणगढ़ अंबाला छावनी अंबाला शहर मुलाना सांडोर जगाधरी और यमुनानगर शामिल है.

2019 लोकसभा चुनावों में कुल प्रत्याशी
अंबाला लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशियों सहित कुल अट्ठारह प्रत्याशी अंबाला लोकसभा चुनावों के लिए मैदान में उतरे हैं. बात करें देश के मुख्य राजनीतिक दल के बारे में तो भारतीय जनता पार्टी ने इस बार भी मौजूदा सांसद रतन लाल कटारिया पर दांव खेला है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा पर दाव खेला है.

जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी ने अपना संयुक्त प्रत्याशी पूर्व डीजीपी पृथ्वीराज सिंह को मैदान में उतारा है. बहुजन समाज पार्टी और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने अपना संयुक्त प्रत्याशी नरेश कुमार को मैदान में उतारा है. 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही इंडियन नेशनल लोकदल ने रामपाल बाल्मीकि को मैदान में उतारा है. इन सभी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला अंबाला लोकसभा सीट के 18 लाख 62 हजार 235 मतदाताओं के हाथ में है

अंबाला लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
गौरतलब है कि 1967 से लेकर अब तक कुल 13 चुनाव हुए जिनमें 6 बार भारतीय जनता पार्टी और छह ही बार कांग्रेस विजय रही सिर्फ एक बार 1998 में अमन कुमार नागरा इनेलो और बसपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी अंबाला लोकसभा से विजयी हुआ है. इससे साफ जाहिर होता है कि इस बार के लोकसभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रतन लाल कटारिया और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार कुमारी सैलजा के बीच कांटे की टक्कर होगी.

अंदर की बातें
भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रतन लाल कटारिया और भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक और मनोहर कैबिनेट में मंत्री अनिल विज के बीच की अनबन किसी से छिपी नहीं है. लेकिन इस बार दोनों ही नेता अनबन बुलाकर एक मंच पर साथ दिखाई दिए. इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के अंबाला लोकसभा सीट से सभी विधायक कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे अंबाला लोकसभा सीट से रतन लाल कटारिया को जिताने के लिए. इस बार अंबाला लोकसभा की सीट भारतीय जनता पार्टी के अंबाला संसदीय क्षेत्र के विधायकों की नाक का सवाल बन बैठा है.

Last Updated : Apr 27, 2019, 7:57 PM IST

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