हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

यहां गुरुद्वारे के सरोवर में स्नान करने से ही बड़ी-बड़ी बीमारी छू मंतर हो जाती है!

गुरू हर किशन जी के पंजोखरा आगमन से लेकर आज तक प्रत्येक रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु गुरू जी के इस पवित्र स्थान पर नतमस्तक हो न केवल मनोकामनाएं पूरी करते हैं, बल्कि यहां के पवित्र सरोवर में स्नान करने से मनुष्य को शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिलता है.

By

Published : Jun 14, 2019, 4:02 PM IST

Updated : Jun 15, 2019, 8:08 AM IST

यहां गुरुद्वारे के सरोवर में स्नान करने से ही शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिलता है!

अंबाला: हरियाणा अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से पूरे भारत लिए एक श्रद्धा का केन्द्र बिन्दू बना हुआ है. एक तरफ धर्म की नगरी कुरुक्षेत्र है तो दूसरी तरफ हड्प्पा का अस्तिव लिए हिसार... वहीं अंबाला का भी सिख धर्म में बेहद खास महत्व है. लगभग 8000 की आबादी वाले गांव पंजोखरा साहिब को सिक्खों के आठवें गुरू श्री हर किशन जी ने अपने पवित्र चरणों का स्पर्श प्रदान किया था.

पंजोखरा गुरुद्वारे से ईटीवी भारत की टीम, देखिए रिपोर्ट

क्यों महत्व रखता है गुरूद्वार पंजोखरा साहिब ?
बताया जाता है कि गुरू हर किशन जी को जन्म से ही गुरूओं की पवित्र वाणाी के साथ प्रेम था और उनके इस प्रेम को देखकर सातवें गुरू श्री हरराय जी ने सम्वत 1718 में मात्र 5 वर्ष की आयु में गुरू गद्दी उन्हें सौंप दी थी. गुरू जी के दर्शन करने वाले लोगों को ना केवल मानसिक शान्ति प्राप्त होती थी, बल्कि उनके चरण स्पर्ष से कुछ की क्षणों में पुराने से पुराने रोग भी दूर हो जाते थे.

गुरू हर किशन जी के बारे में इस तरह की चर्चा सुनने के उपरांत मुगल शासन औरगंजेब ने भी इनके दर्षन करने चाहे, लेकिन आपने कहा कि न तो औंरगजेब को दर्षन देंगे और न ही कभी उससे किसी तरह का संबध रखेंगे. दूसरी तरफ राजा जयसिंह को सिक्ख धर्म के अनुयायी थे, ने अपने दूत परसराम के माध्यम से गुरू जी को दिल्ली आने का निमंत्रण दिया और उनके इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए आपने दिल्ली की तरफ कूच किया. श्री हर किशन जी कीरतपुर से दिल्ली जाते समय पंजोखरा साहिब में रूके और उनके यहां आने की खबर सुनते ही पंजोखरा साहिब व आस-पास के क्षेत्रों में भारी संख्या में श्रद्धालु उनके दर्षनों के लिए आने शुरू हो गये. जो भी व्यक्ति उनके दर्षन करता, तो न केवल उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती थी बल्कि शारीरिक लोगों से पीडित लोगों को भी गुरू जी ने निकट ही स्थित तालाब में स्नान करने के लिए कहा और आज यह तालाब एक पवित्र सरोवर के रूप में गुरूद्वारा साहिब के भवन के बिल्कुल समीप स्थित है.

'लाल चंद पंडित ने ली थी गुरु जी की परीक्षा'
गांव पंजोखरा के ही पंडित लालचंद को जब इस संबध में पता चला, तो उन्होंने श्री हर किशन जी को गुरू मानने से इंकार करते हुए कहा कि इनती छोटी अवस्था में एक बालक को गुरू की उपाधि कैसे दी जा सकती है. पंडित लालचंद ने सिक्खों के सामने शर्त रखी कि यदि श्री हर किशन जी गीता के श्लोकों के अर्थ कर दे, तों मैं उनकों गुरू मानने के लिए तैयार हूं. पंडित जी भागवतगीता लेकर गुरू जी के दरबार में आए और गुरू जी से कहा कि अगर अपने आप को सिक्ख धर्म के आठवें गुरू कहलवात हो, तो आप श्री कृष्ण जी की भागवतगीता के अर्थ करके दिखाएं. गुरू जी के आप गांव से किसी भी व्यक्ति को मेरे पास ले आओ और वह व्यक्ति गीता के श्लोकों के अर्थ कर देगा.

'जब गूंगे ने पढ़ा गीता का पाठ'
पंडित जी ने गुरू जी के साथ चालाकी करते हुए छज्जू जो झीवर जाति से संबध रखता था और बोलने व सुनने में असमर्थ था, को गुरू जी के सामने पेश कर दिया. गुरू जी ने इस गूंगे-बहरे व्यक्ति को सरोवर में स्नान करवाया और उसके सिर पर छडी रखकर पंडित लालचंद को गीता का कोई भी श्लोक उच्चारण करने के लिए कहा. जैसे ही पंडित ने श्लोकाचारण किया, तो जन्म से गूंगे-बहरे छज्जू ने बिना किसी देरी के गीता के श्लोक के अर्थ कर दिये. यह देखकर पंडित गुरू जी के चरणों में गिर पडा और अपनी गलती के लिए क्षमा याजना की. आज भी गुरूद्वारा पंजोखरा साहिब के बारे मे कहा जाता है कि श्रद्धा और प्रेम भाव से पवित्र सरोवर में स्नान करके गुरूद्वारा साहिब के दर्षन करने से गूंगे व बहरे व्यक्ति भी स्वस्थ हो जाते हैं.

'दर्शन करने से होती है मनोकामना पूरी'
ये भी कहा जाता है कि इसके कुछ दिनों उपरांत गुरू जी ने इस स्थान पर निशान साहिब स्थापित किया और संगतों को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए लंगर चलाने के आदेश दिये. उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन से लगातार पांच रविवारों को गुरूद्वारा पंजोखरा साहिब के दर्शन करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी और उसे सदा के लिए शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिलेगा.

Last Updated : Jun 15, 2019, 8:08 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details