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पानीपत के इस सरकारी स्कूल से प्रदेश के बाकी स्कूल लें सकते हैं प्रेरणा, पानी बचाने को लेकर किया ये काम

इसराना का ये स्कूल आज दूसरे स्कूलों के लिए भी प्रेरणा बन गया है क्योंकि अब बारिश के दौरान स्कूल में पानी का ठहराव नहीं होता. स्कूल में भूमिगत जल संरक्षण संयंत्र के दो प्रोजेक्ट लग चुके हैं. प्रिंसिपल ने सरकार के द्वारा कुछ मदद नहीं मिलने से अपने स्कूल के बजट से इन दो भूमिगत जल संरक्षण संयंत्र को लगवाया है. इस पर लगभग 70 हजार रुपये का खर्च आया.

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Published : Aug 2, 2019, 9:53 PM IST

पानीपत: हरियाणा के लोग पानी बचाने को लेकर जागरूक हो गए हैं और साथ ही पानी की निकासी भी हो रही है. पूरे प्रदेश में कई जगह लोगों ने भूमिगत जल संरक्षण संयंत्र लगाकर पानी की निकासी और पानी को बचाने का समाधान ढूंढ़ लिया है.

पानी को बचाने और निकासी की समस्या का समाधान करने के लिए ऐसा ही कुछ किया है, इसराना हलके के राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल संजय हुड्डा ने. संजय हुड्डा बारिश के दिनों में स्कूल में पानी भर जाने से बड़े परेशान थे. क्योंकि पानी भरने के कारण स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती थी, जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता था. इसी समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने स्कूल में भूमिगत जल संरक्षण संयंत्र लगवाया. अब स्कूल में पानी का ठहराव नहीं होता है.

इसराना का ये स्कूल आज दूसरे स्कूलों के लिए भी प्रेरणा बन गया है क्योंकि अब बारिश के दौरान स्कूल में पानी का ठहराव नहीं होता. स्कूल में भूमिगत जल संरक्षण संयंत्र के दो प्रोजेक्ट लग चुके हैं. प्रिंसिपल ने सरकार के द्वारा कुछ मदद नहीं मिलने से अपने स्कूल के बजट से इन दो भूमिगत जल संरक्षण संयंत्र को लगवाया है. इस पर लगभग 70 हजार रुपये का खर्च आया.

यहां देखें वीडियो.

स्कूल के वाइस प्रिंसिपल अंग्रेज सिंह ने बताया कि 6 से 7 साल पहले हमारे प्रिंसिपल को ये आइडिया आया था, जिसको अब पूरा किया गया है. आज हमारे स्कूल में 80 फुट और 20 फुट के दो बोर हैं जिससे स्कूल में कहीं भी पानी का ठहराव नहीं होता है. आसपास के स्कूल वाले भी हमसे इस भूमिगत जल संरक्षण संयंत्र के बारे में पूछते हैं और हम से प्रेरणा ले रहे हैं.

इस जल संरक्षण यंत्र से दो लाभ हो रहे हैं. घटते जल स्तर के इस दौर में एक तो पानी की बचत हो रही है और दूसरा बारिश के बाद पानी का ठहराव नहीं रहता है जिस कारण पहले स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती थी. जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता था लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं होती है.

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