जींद: प्रदेशभर में पिछले 19 दिनों से हड़ताल पर चल रही आशा वर्करों के समर्थन में सर्व कर्मचारी संघ ने बुधवार को जिला सचिवालय तक जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. सीएमओ कार्यालय से नारे लगाती आशा वर्कर्स प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंची. इस दौरान जिला सचिवालय में डीसी डॉ. आदित्य दहिया को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया. कर्मचारियों द्वारा इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री को जमकर कोसा भी गया.
आशा वर्कर की जिला प्रधान नीलम खरकरामजी ने कहा कि कोरोना संकटकाल में आशा वर्कर जान जोखिम में डालकर काम कर रही हैं. सरकार का फर्ज बनता है कि आशा वर्करों की सभी समस्याओं का समाधान करे. अपनी अनदेखी से आहत आशा वर्कर सात अगस्त से हड़ताल पर चल रही हैं, सरकार ने उनकी सुध नहीं ली.
जींद में आशा वर्करों ने किया डीसी कार्यालय का घेराव, देखें वीडियो. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार उन्हें कोरोना योद्धा कहती है, परंतु दूसरी ओर इनका अपमान कर रही है. आशा वर्कर जब स्वास्थ्य मंत्री के निवास पर पहुंची तो मंत्री उनसे बिना बात किए चले गए. ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार बातचीत के माध्यम से समस्या हल नहीं करना चाहती.
वहीं जिला उपायुक्त आदित्य दहिया ने आशा वर्करों को संबोधित करते हुए कहा कि इस मामले को लेकर उनकी विभाग के उच्च अधिकारियों से बात हुई है और इस मसले पर बातचीत के द्वारा हल करने के लिए आपका 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल उनसे मिल सकता है. मैंने आपके लिए उनसे समय ले लिया. मुझे उम्मीद है कि बातचीत के जरिए आपकी समस्याओं का समाधान जल्द ही निकल आएगा.
ये हैं आशा वर्कर्स की मुख्य मांगें-
- जो मासिक वेतन से आधे पैसे काटे गए हैं सरकार उनको आशाओं के खाते में डाले.
- जनता को गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने हेतु सरकारी स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत किया जाए और एनएचएम को स्थाई किया जाए.
- आठ एक्टिविटी का काटा गया 50% तुरंत वापस किया जाए.
- कोविड-19 में काम कर रही आशाओं को जोखिम भत्ते के तौर पर 4000 रु दिए जाएं.
- गंभीर रूप से बीमार एवं दुर्घटना के शिकार आशाओं को सरकार के द्वारा पैनल हॉस्पिटल में इलाज की सुविधा दी जाए.
- ईएसआई एवं पीएफ की सुविधा दी जाए.
- आशा वर्कर को हेल्थ वर्कर का दर्जा दिया जाए.
- आशा वर्कर को स्मार्टफोन दिया जाए.
- 21 जुलाई 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के सभी बचे हुए निर्णय को लागू किया जाए.
- आशाओं को समुदायिक स्तरीय अस्थाई कर्मचारी बनाया जाए, वहीं जब तक पक्का कर्मचारी नहीं बनाया जाता तब तक हरियाणा सरकार का न्यूनतम वेतन दिया जाए.
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