हिसार: कई सालों से जूनोटिक बीमारियां (zoonotic diseases) पूरे विश्व में फैल रही है. विश्व के कई बड़े देशों के साथ-साथ भारत में भी इनका प्रभाव बेहद अधिक देखने को मिल रहा है. इन बीमारियों की वजह से देश में बड़ी संख्या में इंसान और पशु पक्षियों की मौत हो रही है. पिछले 3 सालों से कोरोना वायरस से हम सब जूझ रहे हैं. यह भी एक जूनोटिक बीमारी है. इसके अलावा और भी ऐसी कई बीमारी हैं जो धीरे-धीरे जानवरों से इंसानों में फैल रहीं हैं.
हिसार के सिरसा रोड स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Equines) यानि एनआरसीई में वैज्ञानिकों की कई टीमें इस तरह की जूनोटिक बीमारियों पर रिसर्च कर रही है. केंद्र सरकार की तरफ से इस तरह की बीमारियों से बचने के लिए वन हेल्थ प्रोग्राम चलाया गया है. नेशनल रिसर्च सेंटर के सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर बीआर गुलाटी को इसका रीजनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया है. इस प्रोग्राम में एनआरसी के वैज्ञानिकों की टीम स्वास्थ्य विभाग और पशु चिकित्सा विभाग के साथ मिलकर जूनोटिक बीमारियों से बचने और उनके प्रभावों को लेकर काम कर रही है.
जानवरों से इंसानों में बेतहाशा फैल रही ये बीमारियां, जानिए कैसे करें बचाव जूनोटिक बीमारियों को लेकर सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर बीआर गुलाटी ने बताया कि जंगलों का क्षेत्र बेहद कम होने के वजह से जंगली जानवर अब इंसानों के अधिक संपर्क में आने लगे हैं. पिछले तीन दशकों से भारत समेत पूरे विश्व में इन बीमारियों का फैलाव बढ़ा है. जंगली जानवरों में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया जूनोटिक रोग बनकर फैल रहे हैं. अभी हम कोविड सार्स-2 वायरस से जूझ रहे हैं. यह भी चमगादड़ और अन्य जानवरों से होते हुए मनुष्य तक फैला है.
डॉक्टर गुलाटी ने बताया कि भारत में इस तरह की बीमारियां फैलने के पीछे एक कारण यह भी है कि यहां जनसंख्या बहुत ज्यादा है. मनुष्य और पशुओं के बीच दूरी बहुत कम हो गई है. हमारे यहां जहां पशु रहते हैं वहीं इंसान भी रहते हैं. इससे इंसानों की बीमारियां पशुओं में और पशुओं की बीमारियां इंसानों में आने के ज्यादा चांस होते हैं. इसके कई उदाहरण हैं. जैसे ब्रूसेलोसिस, बुवाईन टीबी गाय और भैंस में पाई जाती है. ये बीमारी इंसानों में भी आ रही है. जो इंसान इन गाय और भैंस का कच्चा दूध पीता है या उससे बना हुआ कोई प्रोडक्ट खाता है या फिर इन पशुओं की देखरेख करता है, उन इंसानों में भी ये केस पाए जा रहे हैं.
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार. जूनोटिक बीमारी क्या है- जूनोटिक रोग उन्हें कहते है जो पशुओं के माध्यम से मनुष्यों में और मनुष्यों से फिर पशुओं में फैलते हैं. इनका संक्रमण प्रकृति या मनुष्यों में जानवरों के अलावा बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के माध्यम से फैलता है. जूनोटिक रोगों में मलेरिया, इबोला, स्वाइन फ्लू, कोरोना वायरस जैसे संक्रमण शामिल हैं. इन बीमारियों के वायरस खास बात ये है कि यह समय के हिसाब से खुद को म्यूटेट (नये-नये वैरिएंट बनते रहना) करते रहते हैं. पिछले 30 वर्षों में ऐसी कई जूनोटिक बीमारियां पाई जा चुकी हैं.
जूनोटिक बीमारियों से बचने के उपाय- जंगली पशु व पक्षियों से दूरी बनाकर रखें. अचानक किसी पक्षी या पशु की मौत हो तो स्वास्थ्य विभाग को सूचित करना चाहिए. बीमार पशु व पक्षियों और इंसानों से दूरी बनाकर रखें. बचाव के सेफ्टी उपकरण (मास्क, सेनेटाइजर आदि) का प्रयोग करें. अपने पालतू पशुओं का टीकाकरण समय से कराएं. दुधारू संक्रमित पशुओं में दूध से भी कई बीमारियां आ जाती है, इसलिए दूध को अच्छे से उबालकर ही पिएं. कच्चा मीट न खाएं। मांस खाते समय उसे अच्छी तरह उबालें और काफी देर तक पकाएं.