हिसार: पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को निर्देश दिए गए थे की सभी विश्वविधालयों और उनके अधीन आने वाले कॉलेजों में एनवायरमेंट स्टडी को लेकर छह महीने का कोर मॉड्यूल स्लेबस लगाया जाए.
जिसके बाद यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने सभी विश्वविधालयों को इस सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी किए. सभी विश्वविधालयों ने इसको लागू किया लेकिन विषय से सम्बंधित शिक्षक प्रदेश के अधिकतर कॉलेज में नहीं है. पर्यावरण का यह विषय अन्य विषयों के शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा है.
गुरु जम्भेश्वर विश्वविधालय में रिसर्च स्कॉलर कुलबीर सिंह का बयान. गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय में एनवायरमेंट डिपार्टमेंट से रिसर्च स्कॉलर कुलबीर सिंह की तरफ से लगाई गई आरटीआई में जानकारी मिली कि प्रदेश के कई कॉलेज ऐसे है जिनमें पर्यावरण विषय को अन्य विषयों के शिक्षक पढ़ा रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः- जानिए महाराजा सूरजमल का असल इतिहास, जिस वजह से पानीपत फिल्म पर मचा है बवाल
कुलबीर सिंह ने गुरु जम्भेश्वर विश्वविधालय का जिक्र करते हुए कहा कि पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षक ना होने के कारण यूनिवर्सिटी में भी लगभग 70 प्रतिशत छात्र इस विषय में अनुत्तीर्ण हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के लगभग 170 कॉलेजों में केवल 10 शिक्षक ऐसे हैं जो इस विषय को पढ़ने में सक्षम हैं और नियमों के आधार पर इस विषय को पढ़ा रहे हैं.
कुलबीर सिंह ने कहा कि विश्वविधालयों ने पर्यावरण विषय को लागू कर रखा है लेकिन शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया डायरेक्ट्रेट ऑफ हायर एजुकेशन की तरफ से की जाती है. हायर एजुकेशन विभाग की तरफ से पत्र जारी कर कहा गया है कि जब तक विषय से सम्बंधित फैकल्टी नहीं है तब तक अन्य विषय के शिक्षक पर्यावरण विषय को पढ़ा सकते हैं. कुलबीर सिंह ने मांग की है कि जब तक पर्यावरण विषय से सम्बंधित शिक्षकों की भर्तियां नहीं होती है तब तक पर्यावरण विषय से सम्बंधित एक्सटेंक्शन शिक्षकों की नियुक्तियां की जाएं.
ये भी पढ़ेंः- सरस्वती नदी के अस्तित्व पर फिर मंडराया खतरा, ठंडे बस्ते में सरस्वती को बचाने की योजना