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प्रदेश सरकार ने रोस्टर सिस्टम से पदोन्नति का पत्र लिया वापस, कांग्रेस ने जताया ऐतराज

प्रदेश सरकार द्वारा रोस्टर सिस्टम से पदोन्नति करने संबंधी पत्र को वापस लिए जाने के बाद हरियाणा कांग्रेस कमेटी लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन लाल बहादुर खोवाल ने रोष जताया और एससी बीसी वर्ग के हितों पर कुठाराघात करार दिया.

Hisar Congress opposes withdrawal of promotion letter from roster system
प्रदेश सरकार ने रोस्टर सिस्टम से पदोन्नति का पत्र लिया वापस, कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन ने जताया ऐतराज

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Published : Jun 26, 2020, 2:03 PM IST

हिसार: हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने प्रदेश सरकार द्वारा रोस्टर सिस्टम से पदोन्नति करने संबंधी पत्र को वापस लिए जाने पर कड़ा रोष जताते हुए इस एससी बीसी वर्ग के हितों पर कुठाराघात करार दिया है.

एडवोकेट खोवाल ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2018 में पत्र जारी करके रोस्टर सिस्टम से प्रमोशन का प्रावधान किया गया था. लेकिन अब सरकार आरक्षण को खत्म करने के लिए नए-नए पत्र जारी कर रही है. इसी कड़ी में 23 जून को पत्र जारी करके वर्ष 2018 के उस पत्र को वापस ले लिया है.

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार एससी बीसी को कानून के मुताबिक प्रमोशन नहीं देना चाहती है. पिछले दिनों भी प्रदेश सरकार एसडीओ से एक्सईएन की प्रमोशन में रोस्टर सिस्टम लागू नहीं कर रही थी. जिस पर माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनके प्रमोशन पर रोक लगा दी थी.

जिस पर आगामी तीन जुलाई को सुनवाई होनी है. लेकिन इसी बीच हरियाणा सरकार ने जो पत्र वापिस लिया है. इससे बीजेपी की मानसिकता का पता चलता है कि वो एससी बीसी को सही तरीके से प्रमोशन में आरक्षण नहीं देना चाहती है. जबकि उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए सभी श्रेणियों मे रोस्टर प्रणाली को सही तरीके से लागू किया जाना चाहिए.

जिसके लिए क्लास वन और क्लास टू के नियमों में कुछ बदलाव किया जाना चाहिए था. उन्होंने बताया कि वरियता सूची बनाते समय आर्डर ऑफ मैरिट को ना बदलने की बाध्यता के नियम में बदलाव करके एससी बीसी वर्ग के उम्मीदवारों का उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए आर्डर ऑफ मैरिट में बदलाव करने का प्रावधान किया जाए. जो कि इनका संवैधानिक अधिकार भी है.

एडवोकेट खोवाल ने कहा कि भेदभाव एवं असमानता को मिटाने के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान किया गया था. लेकिन अभी भी लोगों को जातीय असमानता का दंश झेलना पड़ रहा है. जब जातीय असमानता खत्म हो जाएगी तब रिजर्वेशन की कोई जरूरत नहीं रहेगी. देश के आंकड़ों के अनुसार देश में केवल 2 करोड़ सरकारी नौकरियां है. जिनको पाने के लिए सामान्य वर्ग सहित हर वर्ग आरक्षण लेने के लिए लालायित है.

वहीं 43 करोड़ नौकरियां प्राइवेट सेक्टर की हैं. जिनमें कोई रिजर्वेशन लागू नहीं है. जबकि प्राइवेट नौकरियों में भी आरक्षण लागू होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विकासशील देश अमेरिका की हर कंपनी को हर साल लिख कर देना होता है कि आप के कुल कितने कर्मचारी हैं. उनमें से कितने वाइट हैं और कितने ब्लैक हैं. ब्लैक कर्मचारियों को इम्प्रूव करने के लिए आप क्या कर रहे हैं.

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लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. यहां पर इस संबंध में 10 साल पहले समानता का अवसर चैक करने के लिए एक कमेटी बनी थी. लेकिन उस पर भी सही काम ना हुआ. उन्होंने कहा कि इस दिशा में कार्य करते हुए एक ऐसा समाज बनाना चाहिए. जिससे देश में आरक्षण की जरूरत ही ना पड़े. डॉ भीम राव अंबेडकर ने भी कहा था कि जातीय असमानता खत्म होनी चाहिए. लेकिन सरकार नए-नए पत्र जारी करके एससी बीसी के प्रमोशन को निष्क्रिय करना चाहती है.

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