चंडीगढ़ःलोग ये भी जानना चाहते हैं कि राज्य सरकार के पास पैसा कहां से आता है और वो कैसे उस पैसे को खर्च करती है. साथ ही ये भी कि राज्य सरकार केंद्र से कैसे और कितनी मदद लेती है. और क्या उससे बजट का कोई लेना-देना है.
आसान भाषा में समझिए कि राज्य सरकार के पास बजट के लिए पैसा कहां से आता है राज्यों के पास पैसा कहां से आता है ?
- राज्यों के पास तीन तरीकों से पैसा आता है
- पहला जीएसटी के जरिए जिसका आधा हिस्सा केंद्र सरकार लेती है
- दूसरा राज्य का अपना रेवेन्यू जिसमें प्रॉपर्टी टैक्स और टोल टैक्स जैसे संसाधन आते हैं
- और तीसरा है केंद्र से राज्य को मिलने वाला पैसा
- केंद्र सरकार अपनी आय का 42 प्रतिशत अलग-अलग राज्यों को देता है
- इसके अलावा केंद्र सरकार अपनी योजनाओं के लिए भी राज्य सरकारों को मदद देती है
- जैसे स्वच्छ भारत, मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना
- बाकी जो योजनाएं राज्य सरकार चलाती है उनके लिए सारा पैसा राज्य सरकार को खर्च करना होता है
- राज्य के पास अधिकार होता है कि खुद की चलाई योजनाओं पर कितना भी पैसा खर्च करे
- कुछ ऐसी चीजें है जिन पर राज्य सरकार को लगातार पैसा खर्च करते रहना होता है
- जैसे कर्मचारियों का वेतन, सरकारी सुविधाएं, सरकारी वाहन आदि
- ये सारे खर्च पहले से ही तय होते हैं
हरियाणा में पहली बार कोई मुख्यमंत्री बजट पेश करेगा
हरियाणा के इतिहास में ये पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री बजट पेश करने जा रहा है. मनोहर लाल अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रहे हैं. इस बार के बजट से किसानों से लेकर युवाओं तक को खास आस है. अब देखना होगा कि उनके लिए राज्य सरकार क्या करती है.
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पिछले साल के बजट का लेखा-जोखा
- वित्त मंत्री ने 1,32,165.99 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था
- कृषि विभाग के लिए 3834.33 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया था
- कृषि क्षेत्र के लिए 2210.51 करोड़ रुपये दिए गए थे
- पशुपालन के लिए 1026.68 करोड़ रुपये दिए गए थे
- बागवानी के लिए 523.88 करोड़ रुपये दिए गए थे
- मत्स्य पालन के लिए 73.26 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- सहकारिता के लिए 1396.21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- राजस्व घाटा 12 हजार 22 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था
- खेल और युवा मामले में 401.17 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- शिक्षा में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए 12,307.46 करोड़ रुपये दिए गए थे
- स्वास्थ्य विभाग के लिए 5,040.65 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- रोज़गार के लिए 365.20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था
- बिजली विभाग के लिए 12,988.61 करोड़ रुपये का आवंटित किए गए थे