दिल्ली/चंडीगढ़ःकांग्रेस हाइकमान को आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बात माननी पड़ी. उनके दबाव में आकर कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष का पद दे दिया है. और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को किरण चौधरी की जगह सीएलपी लीडर बना दिया गया है. इसके अलावा चुनाव मैनेजमेंट कमेटी का भी अध्यक्ष उन्हें बनाया गया है.
बुधवार शाम से ही हरियाणा कांग्रेस में काफी हलचल होने लगी, देखिए खास रिपोर्ट हुड्डा के आने से क्या बदलेगा ?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा लंबे समय से अशोक तंवर को लेकर मुखर थे. दोनों में कितनी बनती है ये भी जगजाहिर है. लेकिन अब सवाल ये है कि भूपेंद्र हुड्डा को कमान मिलने से क्या बदलेगा. क्या वो लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी को खत्म कर देंगे. क्योंकि जो गुट पहले थे वो तो अभी भी वैसे ही मौजूद हैं बस लोगों के पद बदले हैं कांग्रेस में लोग तो वही हैं. तो हुड्डा इस गुटबाजी से कैसे निपटेंगे?
कांग्रेस में अब कितने गुट ?
- तंवर गुट अब और भी ज्यादा विरोध करेगा.
- किरण चौधरी भी अब ज्यादा मुखर हो सकती हैं. क्योंकि उनका पद हुड्डा को दिया गया है.
- कैप्टन अजय यादव पहले ही हुड्डा से अलग चलते हैं.
- कुलदीप बिश्नोई हुड्डा के पुराने सियासी दुश्मन हैं.
- रणदीप सुरजेवाला भी अपने जुगाड़ में काफी वक्त से लगे हैं.
हुड्डा बीजेपी से लड़ेंगे या कांग्रेस से ?
प्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए ये पद दोहरी चुनौति लेकर आए हैं. पहला तो उन्हें अपनी पार्टी की गुटबाजी से लड़ना है और दूसरा बीजेपी के साथ उन्हें दो-दो हाथ करने हैं. ये दोनों ही काम आसान नहीं होंगे क्योंकि एक वक्त में हुड्डा की वजह से ही कांग्रेस में इतने गुट बने थे और पार्टी में उनके कई पुराने दुश्मन मौजूद हैं. इसके अलावा बीजेपी पहले ही दोनों बाप-बेटों को हराकर अब उनकी राजनीति पर वार कर रही है. अमित शाह के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोहतक में रैली करने वाले हैं तो बीजेपी से पार पाना भी हुड्डा के लिए आसान नहीं होगा.
कांग्रेस ने हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष क्यों नहीं बनाया ?
दरअसल कांग्रेस हरियाणा में किसी एक दलित को ऊपर रखना चाहती है क्योंकि हरियाणा में दलितों की संख्या काफी है. इसीलिए अशोक तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को लाया गया है.