चंडीगढ़:आज देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन है और इसे 'राष्ट्रीय किसान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. चौधरी चरण सिंह किसानों के चाहने वाले थे देश और किसानों से जुड़े हर मुद्दे को बेबाकी के साथ उठाते थे और इस दिन को किसान दिवस के तौर पर मनाने का मकसद यही है कि पूरे देश को यह याद दिलाया जाए कि किसान देश का अन्नदाता है और यदि उसे कोई समस्या होती है तो उसे दूर करना पूरे देश का दायित्व है.
कैसे हुई किसान दिवस की शुरुआत?
साल 2001 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा किसान दिवस की घोषणा की गई, जिसके लिए चौधरी चरण सिंह जयंती से अच्छा मौका नहीं था. किसानों के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यो को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर को भारतीय किसान दिवस की घोषणा की गई.
किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से थे और किसानों की हर परेशानियों को वो समझते थे. राजनेता होने के साथ ही वह एक अच्छे लेखक भी थे उनकी अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी. लेखक के तौर पर उन्होंने एबॉलिशन ऑफ जमींदारी, इंडियाज पॉवर्टी एंड इट्ज सॉल्यूशंस और लीजेंड प्रोपराइटरशिप जैसी किताबें लिखी हैं.