चंडीगढ़ः बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट में टिकट वितरण के दौरान जातीय समीकरणों पर ध्यान देते हुए एक-एक सीट पर वोट बैंक को ध्यान में रखकर उम्मीदवार उतारे हैं. और 90 उम्मीदवारों में से 20 जाट समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है.
2014 से 2019 में 7 जाट उम्मीदवार कम
भारतीय जनता पार्टी ने अपनी गैर जाट वाली राजनीति को और मजबूती से पेश किया है और इस बार जाट समुदाय के 7 उम्मीदवारों का टिकट काट दिया. 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 जाट उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन इस बार जाट उम्मीदवारों की संख्या 20 कर दी गई है. इसकी कई वजहें हो सकती हैं जैसे बीजेपी अपनी गैर जाट छवि को मजबूती से पेश करना चाहती है. इसके अलावा एक वजह ये भी है कि 2014 के चुनाव में 27 जाट उम्मीदवारों में से मात्र 6 उम्मीदवार ही जीत दर्ज कर पाए थे. इसलिए भी बीजेपी ने जाट उम्मीदवारों की ओर से हाथ खींचा है.
बीजेपी ने ऐसे साधे जातीय समीकरण
- बीजेपी के 90 में से 20 जाट उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 17 एससी उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 9 पंजाबी उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 7 ब्राह्मण उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 9 वैश्य उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 6 गुर्जर उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 6 यादव उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 2 मुस्लिम उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 2 सिख उम्मीदवार
- बीजेपी के 90 में से 5 रोड़ और 3 राजपूत उम्मीदवार
गैर जाट छवि को मजबूत करने की कोशिश
बीजेपी ने उम्मीदवारों की लिस्ट से अपनी गैर जाट छवि को मजबूत करने की कोशिश की है. राजनीतिक विश्लेशक डॉ. गुरमीत सिंह कहते हैं कि हमारे यहां कोई पार्टी ये नहीं मानती कि वो जातिगत आधार पर टिकट देते हैं. लेकिन ये भारतीय राजनीति की सच्चाई है कि टिकट वितरण से लेकर मंत्रिमंडल के बंटवारे तक में जातिगत समीकरण साधे जाते हैं. और भारतीय जानता पार्टी शुरू से ही ये मैसेज लेकर चली है कि वो नॉन जाट ध्रुवीकरण चाहती है. और पिछली बार जाट उम्मीदवार ज्यादा जीते भी नहीं थे. इसीलिए बीजेपी अपने नॉन जाट वाले फंडे पर चल रही है.