चंडीगढ़:पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से बीजेपी नेता तेजिंदर बग्गा को बड़ी राहत मिली है. मंगलवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को 5 जुलाई तक बरकरार रखने के आदेश दिए हैं. इस आदेश के बाद अब 5 जुलाई तक तेजिंदर बग्गा की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. दरअसल हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान बग्गा की गिरफ्तारी पर 10 मई तक रोक लगाई थी और अब उसी आदेश को 5 जुलाई तक जारी रखने के आदेश दिए हैं.
मंगलवार को अधिवक्ता पुनीत बाली ने पंजाब सरकार की तरफ से पक्ष रखा. वहीं हरियाणा सरकार की तरफ से बताया गया कि उनकी तरफ से सीसीटीवी फुटेज को संभालकर रखा गया है. पंजाब सरकार ने कहा कि उस फुटेज को कोर्ट में पेश किया जाए. वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि पंजाब सरकार की तरफ से दायर हेबियस कॉर्पस (habeas corpus) पेटिशन का कोई मतलब नहीं है क्योंकि पंजाब सरकार का कोई भी पुलिस अधिकारी दिल्ली या हरियाणा पुलिस की हिरासत में है. दरअसल पंजाब सरकार की तरफ से बार-बार कहा जाता रहा है कि बग्गा को गिरफ्तार करने दिल्ली गई पंजाब पुलिस के जवानों को पहले दिल्ली पुलिस और फिर पंजाब आते वक्त हरियाणा पुलिस में हिरासत में लिया था. इसी वजह से पंजाब की तरफ से सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने वाली याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने बग्गा की गिरफ्तारी पर 5 जुलाई तक रोक लगा दी.
6 मई को बग्गा की हुई थी गिरफ्तारी- दरअसल बीजेपी नेता तजिंदर सिंह बग्गा को 6 मई की सुबह पंजाब पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था. बग्गा के खिलाफ मोहाली की अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. तेजिंदर सिंह बग्गा ने इस वारंट के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (Tejinder Bagga case in high court) का रुख किया था. इस मामले पर 7-8 मई की आधी रात को सुनवाई हुई और 10 मई तक बग्गा की गिरफ्तारी पर कोर्ट ने रोक लगा दी. जस्टिस अनूप चितकारा ने अपने आवास पर आधी रात को अत्यावश्यक आधार पर बग्गा की याचिका पर सुनवाई की थी.
पंजाब के एडवोकेट जनरल ने राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया था कि 10 मई सुबह 11 बजे तक तेजिंदर बग्गा (Tajinder Singh Bagga) के खिलाफ जारी नॉन बेलेबल वारंट पर कार्रवाई नहीं करेंगे. जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि एडवोकेट जनरल की बात को ध्यान में रखते हुए इस मामले को 10 मई को सुनवाई के लिए रखा जाए. तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के वकील चेतन मित्तल ने कहा कि अदालत ने प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर अगली तारीख तक दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की है.