चंडीगढ़ः हरियाणा में 21 अक्तूबर को वोट डाले जाएंगे और 24 अक्तूबर को साफ हो जाएगा कि इस बार कौन सरकार बनाएगा. लेकिन क्या विपक्ष मौजूदा सरकार वाली बीजेपी को टक्कर देने में सक्षम है. आखिर हरियाणा का विपक्ष कितना ताकतवर है? ये बड़ा सवाल है.
कांग्रेस की ताकत
हरियाणा में कांग्रेस की ताकत हैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा. जो बीजेपी के सामने खड़े दिखने वाले एक मात्र नेता दिखते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव के जब नतीजे आए तो कांग्रेस के 10 में से 2 ही उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब हो पाए. उनमें से एक थे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दूसरे उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा. इनके अलावा कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में नाकाम रहा. दीपेंद्र हुड्डा तो काफी करीबी मुकाबले में अरविंद शर्मा से हारे थे.
जब बागी-बागी से हो गए थे हुड्डा
भूपेंद्र हुड्डा ने अपनी ताकत दिखाने के लिए बीते 18 अगस्त को एक रैली की थी. उस वक्त कहा जा रहा था कि हुड्डा नई पार्टी का ऐलान करेंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि पार्टी को जिताने के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया. इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर भी पार्टी लीक से अलग हटकर अपनी बात कही.
कांग्रेस को माननी पड़ी हुड्डा की बात
भूपेंद्र सिंह हुड्डा नाराज तो काफी वक्त से थे लेकिन चुनाव से पहले वो अपनी पूरी ताकत झोंक देना चाहते थे इसीलिए उन्होंने अपनी पार्टी पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई जो काम भी आई और कांग्रस ने अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया. उनकी जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश कांग्रेस की कमान दे दी गई. इसके अलावा किरण चौधरी को हटाकर भूपेंद्र हुड्डा को सीएलपी लीडर बना दिया गया और हुड्डा को चुनाव में भी अहम भूमिका दी गई.