चंडीगढ़ः हरियाणा में नई सरकार का फॉर्मूला तय हो गया है. मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं और दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन दुष्यंत चौटाला के इस फैसले का उनकी ही पार्टी में विरोध हो रहा है.
दुष्यंत के फैसला के जेजेपी में विरोध
दुष्यंत चौटाला ने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया तो पार्टी में ही विरोध के स्वर उठने लगे. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने जेजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व बीएसएफ जवान तेजबहादुर यादव ने पार्टी छोड़ दी है. कई जगहों पर जेजेपी समर्थकों ने पार्टी के झंडे जलाकर विरोध किया है.
तेजबहादुर ने पार्टी छोड़ते वक्त क्या कहा ?
तेजबहादुर यादव ने जेजेपी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा की जनता के साथ धोखा किया है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि हरियाणा की जनता के साथ उन्होंने गद्दारी की है. क्योंकि जेजेपी ने बीजेपी को जनता द्वारा नकारे जाने के बाद भी समर्थन दिया. तेजबहादुर यादव ने कहा कि जब निर्दलीय विधायक बीजेपी को समर्थन कर चुके थे तो दुष्यंत चौटाला को उनके पास जाकर समर्थन देने की क्या जरूरत थी. ये पूरे प्रदेश के साथ एक धोखा है. उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वो जेजेपी का विरोध करें.
क्या बीजेपी के साथ जाने से दुष्यंत को होगा फायदा ?
दुष्यंत चौटाला ने अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शामिल होने का फैसला लिया है तो कुछ सोच समझकर ही लिया होगा. उनकी पार्टी अभी मात्र 10 महीने पहले ही बनी है. जमीन पर पार्टी खड़ी करने के लिए वक्त और पैसा दोनों चाहिए जिसके लिए सरकार में हिस्सेदारी किसी भी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हो सकती है. शायद इसीलिए दुष्यंत चौटाला ने निर्दलीयों का समर्थन मिलने के बाद भी खुद जाकर समर्थन की पेशकश की. और इसे फल कहिए या कुछ और आज ही उनके पिता फरलो पर बाहर आ रहे हैं. जो उनके लिए सोने पर सुहागा है. सरकार में शामिल होने के बाद अब दुष्यंत चौटाला को संगठन मजबूत करने के लिए न सिर्फ वक्त मिलेगा बल्कि वित्तीय सहायता भी होगी. जो उन्हें इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी लगी. हालांकि उन्होंने समर्थन देते वक्त कहा कि हम हरियाणा के युवाओं के लिए सरकार को समर्थन दे रहे हैं.