चंडीगढ़: हड़ताल के दौरान सुबह 6 बजे से अगले 24 घंटे तक देशभर में 5 लाख से ज्यादा डॉक्टर्स स्ट्राइक पर रहेंगे. ऐसे में हरियाणा में भी इस हड़ताल का गहरा असर पड़ रहा है. हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर्स की छुट्टी रद्द कर दी थी लेकिन ये आदेश सिर्फ दफ्तरों में पहुंचकर रद्दी की टोकरी में डाल दिये गए.
डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण दिन भर परेशान रहे मरीज. गुरुग्राम में लूटे मरीज
बात गुरुग्राम के सोहना की करें तो यहां कोई भी डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी नागरिक हस्पताल में नहीं पहुंचा. वहीं मरीज तो अपना इलाज कराने के लिए अस्पताल में आते रहे लेकिन सरकारी अस्पताल में इलाज ना मिलने के कारण सभी मरीज निजी अस्पतालों में जाकर लूटने के लिए मजबूर हो गए.
अंबाला में भी रहा गहरा असर
कुछ ऐसा ही हाल अंबाला का भी रहा. आईएमए के आह्वान पर अम्बाला में डाक्टर हड़ताल पर रहे. साथ डॉक्टर्स ने बाजारों से रोष जुलूस निकाल कर बंगाल सरकार के खिलाफ गुस्साया जताया. जिले में करीबन 600 डॉक्टर हड़ताल पर हैं. डॉक्टर्स ने हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन देकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है. डॉक्टर्स ने बताया कि वे सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक अपने निजी अस्पताल की ओपीडी बन्द करके हड़ताल कर रहे हैं लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि कोई आपातकालीन होने पर मरीज का इलाज करेंगे.
सोनीपत में ओपीड़ी सेवाएं रही बाधित
वहीं सोनीपत के निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स ने भी आज पूरा दिन ओपीडी सेवाएं बाधित रखी. इस दौरान निजी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. कुछ ऐसा ही हाल महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, पानीपत सहित प्रदेश भर के सभी जिलों का रहा.
क्या कहा स्वास्थ्य मंत्री ने?
वहीं इस मामले पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि देश ही नहीं पूरे हरियाणा में डॉक्टर्स की सुरक्षा का कानून है लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हठधर्मिता की वजह से ये समस्या पैदा हुई है. ममता को तानाशाही रवैये की जगह मानवतावादी तरीका अपनाना चाहिए. विज ने कहा कि भीषण गर्मी में लू के कारण बीमारी का सीजन है और एक सीएम की वजह से सारा मामला उलझा हुआ है. विज ने कहा कि हरियाणा में हड़ताल का असर इतना नहीं दिखेगा क्योंकि प्रदेश में इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से सुचारू रूप से चल रही है.
खैर स्वास्थ्य मत्रीं भले ही हड़ताल का असर प्रदेश में कम बता रहे हैं लेकिन हड़ताल के कारण सूबे के लोग इलाज के मारे-मारे फिर रहे हैं. डाक्टर्स का इस तरह हड़ताल करना सही नहीं है क्योंकि हड़ताल के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन इन्हीं मरीजों के परजिनों द्वारा डॉक्टर्स पर हमला करना भी सही नहीं है. अब देखते हैं कब तक ऐसे ही हालात रहते हैं.