चंडीगढ़: कोरोना महामारी में भारत और चीन की सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच बढ़ता तनाव चिंता का विषय बना हुआ है. सीमा विवाद को लेकर इससे पहले भी चीन और भारत की सेनाओं के बीच तनाव देखने को मिल चुका है.
चीन के साथ चल रहे तनाव पर रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलों ने ईटीवी भारत से कहा कि दूरदर्शी सोच रखनी होगी. उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट कमेटी ऑफ डिफेंस की सिफारिशें माननी पड़ेंगी और बजट बढ़ाना पड़ेगा. ताकि सेनाओं को और भी मजबूत किया जा सके. उन्होंने कहा कि अगर विकास करना है तो खर्चा करना पड़ेगा.
चीन नहीं चाहता भारत की सीमाओं का विवाद हो खत्म, क्लिक कर देखें वीडियो उन्होंने कहा कि चीन नेपाल में पैर पसार रहा है. साथ ही म्यांमार में चीन की दखल बढ़ी है. जहां चीन ने बहुत सारे ठिकाने बना रखे हैं. चीन-पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर है और चीन म्यांमार के रास्ते भी कॉरिडोर बना रहा है.
'चीन-पाकिस्तान को प्रमोट कर रहा है'
उन्होंने कहा कि डिस्प्यूटेड इलाके में झड़प होती है. मगर कंट्रोल में होने और मैकेनिज्म होने के चलते इनको सुलझा लिया जाता है. इसे दूरादर्शिता से देखना होगा. इसका हल पार्लियामेंट कमेटी ऑफ डिफेंस ने बताया था जो कि रिकॉर्डेड है और दोनों ही सदनों में इसको पेश किया गया था. इसमें कहा गया था कि देश को मजबूत करने के लिए स्ट्रॉन्ग डिफेंस बनानी होगी. चीन-पाकिस्तान को प्रमोट कर रहा है और हमारे खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता है. चीन से मुकाबला करना है तो डिफेंस फोर्स को मजबूत बनाना होगा.
'सेनाओं को मजबूत करना होगा'
कुलदीप सिंह काहलों ने कहा कि लद्दाख की बात करें या ईस्टर्न सेक्टर सिक्किम तक झड़पें हुई हैं. बॉर्डर पर छोटी-मोटी झड़पें होती रहती हैं. चीन का इरादा ठीक नहीं है. वो बॉर्डर डिस्प्यूट समाप्त नहीं होना देना चाहते. पाकिस्तान का चीन इस्तेमाल कर रहा है और पाकिस्तान को प्रमोट कर रहा है. जरूरत है कि हमें सेनाओं को मजबूत करना होगा. डिफेंस को तभी मजबूत किया जा सकता है, जब बजट ज्यादा होगा.
'1967 से चीन-भारत सीमा पर नहीं हुई फायरिंग'
कुलदीप सिंह काहलों ने कहा कि पेगंसो लेक विवादित पॉइंट पर झड़पें होती हैं. 1967 के बाद चीन के साथ कोई फायरिंग की घटनाएं नहीं हुई हैं. चीन और भारत सीमा पर हाथापाई, पत्थरबाजी होती है. वहां उनकी तरफ से एग्रेसिव पेट्रोलिंग होती है. सिक्किम में मुक्काबाजी होती है. उसके बाद लाठियों और रॉड के साथ झड़प होती है. इन्हें बातचीत के माध्यम से सुलझा लिया जाता है.
'पार्लियामेंट कमेटी की सिफारिशों को मानना होगा'
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा के लिए पार्लियामेंट कमेटी की सिफारिशों को मानना होगा. कमेटी कह चुकी है कि बजट बढ़ाना होगा. कुलदीप सिंह काहलों ने कहा कि राफेल का दाम बढ़ सकता है. काहलों ने कहा कि कोरोना के चलते दाम बढ़ सकते हैं. जो 1 लाख 13 हजार करोड़ है. उसमे टैंक, गन, एम-777 गन समेत काफी चीजें हैं. मगर इनकी कीमतें बढ़ सकती हैं.
ये भी पढ़ें- ना बैंड, ना बाजा, ना बाराती, लॉकडाउन से हुआ कारोबार चौपट